भ्रष्ट पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त हुई केंद्रीय सरकार, बेनकाब करेगी चेहरा

पुलिस कमिश्नर सिस्टम

 भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। देश में पुलिस को अक्सर भ्रष्टाचार के लिए जाना जाता है। देश के कोने कोने से कुछ ऐसी पुलिस की खबरे सामने आती है जो पुलिस विभाग की छवि कहीं ना कहीं धूमिल कर जाती है। पुलिस विभाग की छवि सुधारने के लिए और उससे भ्रष्टाचार कम करने के लिए केंद्र सरकार ने एक निर्णय लिया है, जिसके तहत विभाग के भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों और पुलिसकर्मियों की फोटो उनके द्वारा किए गए क्राइम के साथ नोटिस बोर्ड पर लगाई जाएंगी। साथ ही उनकी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर भी साझा किया जाएगा। ये फैसला सरकार  की ओर से पुलिस की छवि और सार्वजनिक संपर्क की पहल के तहत लिया गया है।

केद्रीय द्वारा जारी किए गए निर्देश में कहा गया कि भ्रष्ट पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उनकी तस्वीर को उनके द्वारा किए गए जुर्म के साथ सोशल मीडिया पर वायरल किया जाएगा,जिससे उनका अच्छा प्रचार-प्रसार होगा। साथ ही पुलिस थानों में भी उनकी तस्वीरें प्रदर्शित की जाएंगी। साथ ही सरकार ने कहा कि ये निर्णय सिर्फ कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं रहेगा। ये भ्रष्ट आईपीएस अधिकारियों की तस्वीरों को प्रदर्शित करेगा।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।