गौमाता की दुर्दशा देख कराह उठेगा आपका दिल, विधायक ने फेसबुक पर बयां किया दर्द

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। अतिवृष्टि से जहाँ इंसान परेशान है, वहीं बेजुबानों की भी हालत ख़राब है। यहाँ हम जिस बेजुबान की बात कर रहे हैं उसे गौमाता कहा जाता है, हिन्दू धर्म से जुड़े लोगों के लिए गौमाता की सेवा ईश्वर की सेवा के बराबर मानी जाती है, लेकिन आज गौमाता दुर्दशा की शिकार है।  या तो वो सड़कों पर आवारा घूम रही हैं और पॉलीथिन खाकर अपनी जान गँवा रही है या फिर गौशाला में बंद है।

गौशाला में भी वो गौमाता खुश है जहाँ के सेवक उनकी भरपूर सेवा करते हैं लेकिन ग्वालियर में ऐसी गौशाला भी हैं जो गौमाता के लिए कैदखाना साबित हो रही हैं। गोले का मंदिर चौराहे के पास मार्क हॉस्पिटल परिसर में स्थित गौशाला के हाल भी ऐसे ही हैं। बारिश के दिनों में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर गौमाता यहाँ बेहाल है, उसके पास ना ठीक से खाने के लिए और ना ही बैठने के लिए सूखी जगह है। तस्वीरें बताती हैं कि नगर निगम द्वारा संचालित इस गौशाला की देखरेख करने वाले अधिकारी गौमाता के लिए कितना संजीदा हैं।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....