सत्ता बदलते ही बनने लगे समीकरण, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बढ़त दिलाना रहेगी चुनौती

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सीहोर। अनुराग शर्मा |मध्यप्रदेश की राजनीति का प्रत्यक्ष केन्द्र बिंदू माना जाने वाला सीहोर सत्ता परिवर्तन के बाद राजनैतिक ताकत में इन दिनों काफी कमी महसूस कर रहा है। विगत लंबे समय से जिले को जहां मुख्यमंत्री सहित एक दर्जन से अधिक राज्यमंत्री स्तर अथवा निगम मंडल स्तर पर बड़ी राजनैतिक शक्ति प्राप्त थी, वहीं अब नई सरकार आने के बाद कांग्रेस में हलचल तेज है क्योंकि भाजपा के गढ़ के रूप में उभरे सीहोर जिले में भाजपा ने पूरी ताकत झोकी थी, जिसके सकारात्मक परिणाम भी पक्ष में आए और इस विधानसभा चुनाव में चारों सीटें भाजपा ने जीत ली। 

राजनीति के राज आमतौर पर लोगों की समझ में नहीं आते, लेकिन राजनीति के उतर-चढ़ाव देखने ओर सुनने में सत्ताधारी ओर विपक्षी दलों के नेताओं की राजनैतिक ताकत ओर दबदबे को सामने ला देते है। विधानसभा चुनाव तो हो गया, लेकिन अब सबकी निगाहे लोकसभा 2019 पर टिक गई है, भाजपा जहां जिले में चारों सीटें जितने पर उत्साहित है, वहीं प्रदेश में सत्ता से भाजपा ने हाथ धो लिए। जिसकी उदासी भी भाजपा खेमे में साफ नजर आ रही है। जिले में कांग्रेस के पास एक सीट थी, लेकिन चुनाव में उसने वह भी गवा दी। ऐसे में कांग्रेस को अपने संगठन को ओर भी मजबूत करना होगा। जिससे प्रदेश में सत्ता मिलने के बाद कांग्रेस के अनेक ऐसे सीनियर लीडर है जिनकी राजधानी भोपाल से लेकर कांग्रेस हाईकमान दिल्ली तक सीधी पहुंच है तब इन नेताओं का राजनैतिक कद भी अपने आप बढ़ गया है। 


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