Christmas Special : विश्वभर में क्रिसमस का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह पर्व के लिए तरह- तरह की तैयारियां करते हैं। दरअसल, इस दिन ईसाई समाज के भगवान यीशु मसीह का जन्म हुआ था। इस दिन को बड़ा दिन के नाम से भी जाना जाता है। पश्चिमी देशों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला ये त्यौहार अब भारत में भी बड़े त्योहार के रूप में मनाया जाने लगा है। इस दिन लोग सुबह से ही चर्च में जाते हैं और कैंडल जलाकर भगवान यीशु मसीह के सामने प्रे करते हैं। साथ ही, एक दूसरे को मिठाई खिलाकर गिफ्ट्स भी बांटते है। वहीं, आजकल क्रिसमस आने से एक सप्ताह पहले से ही इसे सेलिब्रेट किया जाता है। इसी कड़ी में हम आपको आज के आर्टिकल में सीहोर के ऐतिहासिक ऑल सेंट्स चर्च से जुड़ी कुछ खास बातें बताएंगे…
सीवन नदी के किनारे स्थित है चर्च
दरअसल, यह चर्च सीवन नदी के किनारे स्थित है जो कि पूरे प्रदेशभर का ऐतिहासिक चर्च है। स्थानीय लोगों द्वारा बताया जाता है कि यह चर्च 27 सालों में बनकर तैयार हुआ था। इसे स्कॉटलैंड के चर्च की तरह तैयार किया गया है इसलिए इस चर्च को स्कॉटलैंड के ऐतिहासिक चर्च की कॉपी भी कहा जाता है। इसका निर्माण ब्रिटिश शासनकाल मैं सन 1868 में सीहोर में पदस्थ पोलिटिकल एजेंट जे डब्लू ओसबोर्न ने कराया था। बता दें लाल पत्थरों का यह चर्च मध्य भारत का पहला चर्च था।
यह चर्च सीहोर जिले की एक महत्वपूर्ण आकर्षक इमारतों में से एक है। जिसमें ब्रिटिश काल के फौजी, अधिकारी प्रार्थना के लिए यहां एकत्रित होते थे क्योंकि सीहोर तत्कालीन ब्रिटिश शासन की छावनी थी। यह चर्च पुरातत्व विभाग द्वारा संग्रहित इमारतों की सूची का एक हिस्सा है और अपनी भव्यता एवं सौंदर्य के कारण पूरे प्रदेश के आकर्षण का केंद्र है। बता दें चर्च को खास लड़कियों से बनाया गया है जो कि करीब 152 साल बाद भी वैसी ही स्थिति में है। यहां पर लगभग 100 लोगों के बैठने की व्यवस्था है।
भोपाल रियासत का पहला चर्च
साल 2004 में ब्रिटिश पॉलिटिकल एजेंट की पांचवी पीढ़ी के बैरिस्टर निकोलसन और उनकी बैरिस्टर पत्नी अलेक्जेंड्रिया इंग्लैंड से सीहोर आए थे। जहां उन्होंने अपने परदादा द्वारा निर्मित चर्च के दर्शन किए। जिसे देख कर वह दोनों बहुत खुश हुए थे। वास्तव में यह चर्च सीहोर की आस्था और अध्यात्म की अमूल्य निधि है। वहीं, भोपाल रियासत का पहला चर्च है। वहीं, क्रिसमस को देखते हुए यहां खास तरीके से चर्च की सजावट की गई है। लाइट और बत्तियों से की गई यह तैयारी देखते बन रही है। लोगों का आना शुरू हो गया है। चर्च को लेकर यहां के फादर रोहित चौहान ने बताया कि इसे बनाने में पूरे 27 वर्ष का समय लगा था।
सीहोर से अनुराग शर्मा की रिपोर्ट