भारतीय रेलवे मजदूर संघ ने निजीकरण के खिलाफ खोला मोर्चा, किया संघर्ष दिवस का आयोजन

Gaurav Sharma
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शहडोल, अखिलेश मिश्रा । केंद्र सरकार द्वारा रेल और रेल कोच कारखानों के निगमीकरण और निजीकरण के खिलाफ भारतीय रेलवे मजदूर संघ ने आर पार की लड़ाई लेने का मन बना लिया है। हालही में भारत सरकार ने 109 रूटों पर 151 प्राइवेट ट्रेनों को चलाने का फैसला लिया है । भारतीय रेल भारत में जीवन रेखा की तरह है जो लाखों लोगों की जीविका के साथ-साथ आवागमन का साधन है । आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी संरचना को लाभ हेतु निजी हाथों में सौंपना गैर लोकतांत्रिक और आम जनता के साथ धोखा है। जिसके तहत 8 सितंबर को भारतीय रेलवे मजदूर संघ के नेतृत्व में सभी ट्रेड यूनियन और एसोसिएशन के साथ मिलकर पूरे देश भर में सभी जोनों के सभी मंडलों सभी शाखाओं में संघर्ष दिवस का आयोजन किया गया।

भारतीय रेलवे मजदूर संघ ने निजीकरण के खिलाफ खोला मोर्चा, किया संघर्ष दिवस का आयोजन

इसी संघर्ष दिवस के तहत शहडोल में भी विरोध प्रदर्शन किया गया । संयुक्त मोर्चे का विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम प्रोम्पी सिंह सीआईसी प्रभारी दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे मजदूर संघ के नेतृत्व में हुआ । इस कार्यक्रम का संचालन शहडोल शाखा अध्यक्ष अनुज विश्वकर्मा ने किया । संयुक्त मोर्चे में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ट्रैक मैन एसोसिएशन, ऑल इंडिया रनिंग स्टॉप एसोसिएशन, ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर एसोसिएशन, ऑल इंडिया काउंसिल, इंडियन रेलवे टिकट चेकिंग एसोसिएशन, ऑल इंडिया एसटी एससी एसोसिएशन सम्मिलित हुए । संयुक्त मोर्चे में ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन , ऑल इंडिया गार्ड काउंसिल , ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर एसोसिएशन , दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ट्रैकमैन एसोसिएशन , ऑल इंडिया एससी एसटी एसोसिएशन , ऑल इंडिया टिकट चेकिंग एसोसिएशन सम्मिलित हुए।

विरोध प्रदर्शन में सभी रेल कर्मचारियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और इस कार्यक्रम की शुरुआत सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में नारों के उद्घोष के साथ हुई । इसके उपरांत एलआरसा के सीडब्ल्यूसी मेंबर रजनीश कुमार ने मजदूरों की समस्याओं को सबके समक्ष रखा और एससी एसटी एसोसिएशन से शाखा अध्यक्ष पप्पू रंजन, ट्रैकमैन एसोसिएशन से शाखा सचिव उत्पल कांत , ऑल इंडिया गार्ड काउंसिल से ए ए बेग , दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे मजदूर संघ के जोनल सह कोषाध्यक्ष प्रोम्पी सिंह , शाखा सचिव अभिषेक पांडेय , विद्यासागरपाल , राम सजीवन पटेल , सतीश श्रीवास्तव और अंत में आर. एस. सोनी जी ने अपने विचार व्यक्त कर भारत सरकार को उनकी मजदूर विरोधी नीतियों के लिए चेताया। साथ ही अंत में सरकार के कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कार्यक्रम की समाप्ति हुई।

संयुक्त मोर्चे के इस कार्यक्रम में संजीव नगाइच , बेचन झा , लालाराम , रवि बाग हेमंत पांडे , विकास पांडे , राजेश सिन्हा , राम सुफल पटेल , सतनाम सिंह , आलोक शर्मा ,प्रेम रंजन , रवि रंजन , विनीत जैन , अभिषेक तिवारी , निरंजन सिन्हा , महेंद्र कुमार , हरगुन , मुन्ना शर्मा ,सनी देओल , ए के मिश्रा, सतीश कुमार , राकेश सिंह , एसएन शर्मा , सुधीर कुमार , आशीष राय , प्रशांत मिश्रा ,सचिन श्रीवास्तव , अजय साहू रविकांत , आनंद प्रकाश , अमन राय मृत्युंजय कुमार एनके नामदेव , अंकुर , अजय सिंह , दिनेश विश्वकर्मा , शंकर, दीपक तिवारी , अक्की वर्मा , दिलखुश कुमार , सचिन , एनके श्रीवास्तव और बहुत सारे कर्मचारी सभी डिपार्ट से सम्मिलित हुए ।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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