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Sun, Dec 21, 2025

नहीं थम रहा मासूमों को गर्म सलाखों से दागने का सिलसिला, फिर आए तीन मामलें

Written by:Harpreet Kaur
Published:
नहीं थम रहा मासूमों को गर्म सलाखों से दागने का सिलसिला, फिर आए तीन मामलें

Shahdol-Newborn Burnt With Hot Bars : मध्य प्रदेश के शहडोल में गर्म सलाखें दागने से एक मासूम की मौत के बाद भी यहाँ यह सिलसिला रुका नहीं है, एक के बाद एक और तीन मामलें सामने आए है अब पुलिस और प्रशासन खुद मैदान में उतरकर लोगों को समझाइश दे रहा है। कि इस अंधविश्वास में न पड़े, वही दागने से एक नवजात की मौत मामलें में मानव अधिकार आयोग ने भी शहडोल कलेक्टर और एसपी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।  आदिवासी बाहुल्य जिला शहडोल में अंधविश्वास के कारण बच्चों में गर्म सलाखों से दागने की प्रथा मासूमों के लिए काल बनी हुई है।

फिर आए मामलें सामने 

बताया जा रहा है कि सिंहपुर खंड चिकित्सा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम कोदवार कला के रहने वाले नत्थू कोल के 20 दिन के बेटे शाहिल कोल के पेट में करीब 15 बार गर्म सलाखों से दागा गया। बच्चे को भी निमोनिया की शिकायत थी परिजन उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाने की बजाए झाड़ फूँक वालों के पास ले गए जहां एक महिला ने मासूम को गर्म सलाखों से दाग दिया।  इससे उसके शरीर पर इसके निशान दिखाई पड़ रहे हैं। जानकारी मिलने पर स्वास्थ्य अमला वहां पहुंचा और समझाते हुए बच्चे को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती करवाया।

यह था मामला

यह पूरा मामला शहडोल जिले के सिंहपुर कठौतिया गांव का है। यहाँ रहने वाले एक परिवार की दुधमुँही बच्ची को निमोनिया था, लेकिन परिजन उसे बजाए अस्पताल ले जाने के तांत्रिक के पास ले गए, जहां तांत्रिक ने उसके इलाज के नाम पर मासूम को गर्म सलाखों से दागा। निमोनिया अंधविश्वास के चलते चमड़ी जलने से बच्ची के शरीर में संक्रमण बढ़ गया था। उसे लगातार झटके आ रहे थे। ढाई माह की बालिका के दिमाग में भी इंफेक्शन बढ़ गया था। जिसके बाद परिजनों ने उसे मेडिकल कॉलेज शहडोल में भर्ती करवाया यहाँ विशेषज्ञों की टीम ने उसे बचाने का बहुत प्रयास किया। लेकिन बुधवार को बच्ची की मौत हो गई। शिकायत के बाद शुक्रवार को कब्र में से दफन बच्ची का शव बाहर निकाल गया इसके बाद शनिवार को उसका पोस्टमार्टम किया गया है। फिलहाल पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।

क्या है यह प्रथा 

मध्यप्रदेश के कई जिलों के आदिवासी समुदाय में यह प्रथा है कि मासूम बच्चों को अगर कोई बीमारी होती है तो इसका इलाज दगना प्रथा से करते है, जिसमें मासूम बच्चों को गर्म सलाखों से शरीर के कई हिस्सों पर दागा जाता है। इनका मानना है कि ऐसा करने से बच्चा ठीक हो जाता है।  कई मामलों में नवज्जत बच्चों की दागने से मौत हो जाती है।