दूध में इत्मिनान से नदी का पानी मिला रहा था दूधिया, कलेक्टर ने देखा फिर ऐसे सिखाया सबक

Atul Saxena
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Collector caught milkman mixing water in milk : मिलावट कैसी भी हो वो एक अपराध ही है, लेकिन दूध में पानी की मिलावट को कोई भी अपराध नहीं मानता, इसे एक सामान्य बात की तरह समाज स्वीकार कर चुका है, यही वजह है कि दूधिया ( घर पर दूध बेचने आने वाला व्यक्ति) बिना किसी भय के दूध में पानी मिलाता है और फिर उसे ग्राहकों को देता है।

नदी का पानी दूध में मिला रहा था दूधिया , कलेक्टर ने पकड़ा  

ये हम आपको इसलिए बता रहे हैं कि पूरा घटनाक्रम इसी से जुड़ा हुआ है, दर असल मामला मप्र के श्योपुर जिले का है, यहाँ पदस्थ कलेक्टर संजय कुमार आज जब मॉर्निंग वॉक पर निकले तो ढेगदा पुलिया पर उन्हें एक दूधिया ढेगदा नदी से पानी लाकर दूध में मिलाते हुए दिखा।

दूध में इत्मिनान से नदी का पानी मिला रहा था दूधिया, कलेक्टर ने देखा फिर ऐसे सिखाया सबक

कलेक्टर ने दूधिया की हरकत ट्विटर पर पोस्ट की 

उन्होंने उसकी इस हरकत की फोटो अपने मोबाइल में कैद की और उसे बुलाकर हिदायत दी कि सेवा करने के इस कार्य में इस प्रकार का गलत काम ना करें, इससे ईश्वर नाराज होता है। कलेक्टर ने समझाने के बाद दूधिया से कहा कि आज माफ कर रहा हूँ लेकिन आज के बाद यदि ऐसा करते दिखे तो फिर सजा मिलेगी, कलेक्टर ने दूधिया की हरकत को अपने जिले के ऑफिशियल  ट्विटर एकाउंट पर पोस्ट की है।

दूध में पानी की मिलावट पर संज्ञान नहीं लिया जाता, जबकि ये जरूरी है  

मध्य प्रदेश में मिलावट और भ्रष्टाचार पर सरकार ने जीरो टोलरेंस की नीति अपनाई हुई है, कहीं भी कोई मिलावटखोर बचता नहीं है, शिकायत मिलते ही शासन की एजेंसियां उसके यहाँ छापे मारकर सुबूत इकट्ठा कर कोर्ट में पेश करती है और फिर उसे सलाखों के पीछे भेजती है लेकिन दूध में पानी की मिलावट को अभी तक किसी कानून के दायरे में नहीं लिया जाता इसीलिए गाँव से दूध बेचने आने वाले अथवा घर पर टंकी में दूध लेकर बेचने आने वाले दूधिये दूध में पानी की मिलावट करते है। ये लोग कहीं से भी पानी भरते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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