Tue, Dec 30, 2025

तीस्ता सीतलवाड़ से “पदमश्री” सम्मान वापस लेने, भाजपा नेता ने भारत के राष्ट्रपति को लिखा पत्र

Written by:Harpreet Kaur
Published:
तीस्ता सीतलवाड़ से “पदमश्री” सम्मान वापस लेने, भाजपा नेता ने भारत के राष्ट्रपति को लिखा पत्र

शिवपुरी, डेस्क रिपोर्ट। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुरेंद्र शर्मा ने षड्यंत्रकारी तीस्ता सीतलवाड़ से “पदमश्री” सम्मान वापस लेते लेने की मांग भारत के महामहिम राष्ट्रपति से की है भारत भारत के राष्ट्रपति को लिखे पत्र में सुरेन्द्रशर्मा शर्मा ने माँग की है कि वर्ष 2007 में भारत के महामहिम राष्ट्रपति जी द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता के नाम पर एक एनजीओ चलाने वाली मुंबई निवासी तीस्ता जावेद सीतलवाड़ को “पदमश्री ” पुरस्कार दिया गया था , सुरेन्द्र शर्मा ने कहा है कि यह पुरस्कार भले ही महामहिम राष्ट्रपति द्वारा दिया गया था परंतु संबंधित सरकारों द्वारा उन्हें तीस्ता जावेद सीतलवाड़ के बारे में जो जानकारी दी गई थी वह झूठी और कूट रचित थी, जिसे समाजसेवी बताया गया था वास्तव में वह एक षड्यंत्रकारी है।

 

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राष्ट्रपति को लिखे पत्र में सुरेन्द्र शर्मा ने लिखा है कि महोदय बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा जाकिया जाफरी केस के संदर्भ में जो निर्णय दिया गया है उसमें तीस्ता जावेद सीतलवाड़ को एक भयानक षड्यंत्रकर्ता कहा है माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में स्पष्ट तौर पर यह कहा गया है तीस्ता जावेद सीतलवाड़ द्वारा इस मुकदमे को हिन्दू समाज, गुजरात राज्य, गुजरात सरकार और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की छवि खराब करने के लिए चलाया गया। सुरेन्द्र शर्मा ने लिखा है कि इस षड्यंत्रकारी तीस्ता जावेद सीतलवाड़ द्वारा कौसर बानो नामक एक झूठा पात्र गढ़कर सारी दुनिया में यह भी प्रचारित किया गया कि गुजरात के दंगों में कौसर बानो नामक एक गर्भवती मुस्लिम महिला का पेट काटकर उसकी एवं उसके बच्चे की हत्या हिन्दुओ ने की माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी माना है कि ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं यह केवल षड्यंत्र पूर्व गड़ी गई कपोलकल्पना थी। सुरेन्द्र शर्मा ने राष्ट्रपति जी को लिखे पत्र में लिखा है कि इस झूठी तीस्ता जावेद सीतलवाड़ के कारण पद्मश्री सम्मान की गरिमा को ठेस पहुँची है। सुरेन्द्रशर्मा ने राष्ट्रपति जी से आग्रह किया है कि आपराधिक षड्यंत्रकर्ता तीस्ता जावेद सीतलवाड़ से अविलंब “पदम श्री ” पुरस्कार वापस लिया जाए ताकि इन पुरस्कारों और उनको पाने वालों का मान सम्मान समाज में बरकरार रखा जा सके।