जिला चिकित्सालय के प्रसूति वार्ड में भभूति से इलाज, तमाशबीन बना रहा स्टॉफ

शिवपुरी, मोनू प्रधान। जिला चिकित्सालय वैसे ही अपनी टीम की अनोखी करतूतों के कारण प्रदेश भर में चर्चित है। आज जो वीडियो वायरल हो रहा है उसके अनुसार जिला चिकित्सालय में एलोपेथी विधि ही नहीं बल्कि सवारी बुलाकर भभूति देकर भी इलाज चलता है। जिला चिकित्सालय के प्रसूता वार्ड में एक महिला वाकायदा कुछ महिलाओं को घेरकर बैठी है, जिनमें जिला चिकित्सालय के प्रसूता वार्ड में भर्ती प्रसूता भी शामिल है।

 

वह महिला पहले तरह तरह की आवाज निकालकर अपने सिर सवारी बुलाती है और उसके बाद बाकायदा सभी महिलाओं को दवाई रूपी भभूति बांटती है। उक्त महिला से भभूति पाकर सभी महिलाएं सुकून की सांस लेकर न केवल भभूति सिर से लगाती है बल्कि उसका प्रसाद के रूप में सेवन करती है। इस बीच चिकित्सकीय स्टॉफ उन्हें पुलिस की धमकी देता तो सुनाई दे रहा है, लेकिन न पुलिस को और न अस्पताल प्रबंधन को यहां चल रहे घटनाक्रम की जानकारी देना उचित समझता है। कुल मिलाकर कोरोना काल मे जिला चिकित्सालय में भभूति से इलाज का यह अनोखा मामला सामने आया है वो भी उस जिला चिकित्सालय में जो पूरी तरह सीसीटीवी कैमरों से लबरेज है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।