भाई-बहन की नदी में डूबने से मौत, पुलिस ने दर्ज किया मामला

Gaurav Sharma
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सिंगरौली

शिवपुरी, मोनू प्रधान। जिले के पोहरी थाना क्षेत्र के गांव पिपरघार में सोमवार दोपहर नदी में नहाने गए दो बच्चों की पानी में डूबने मौत हो गई। स्थानीय लोगों ने दोनों बच्चों के शवों को नदी से बाहर निकाला। सूचना मिलने पर पोहरी एसडीओपी निरंजन सिंह राजपूत और थाना प्रभारी नीलम सविता पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंची और जांच-पड़ताल में जुट गई.

पोहरी टीआई नीलम सविता ने बताया कि अंजली पुत्री सुरेश रजक उम्र 15 साल अपने चाचा के लड़के कान्हा पुत्र बल्लू रजक उम्र 8 वर्ष को साथ लेकर सोमवार की दोपहर पिपरघार गांव के पास से निकली नदी में नहाने और कपड़े धोने गई थी। अंजली किनारे पर बैठ कर कपड़े धोने लगी, इसी दौरान चचेरा भाई नदी में नहाते हुए गहरे पानी में चला गया और डूबने लगा।

चचेरे भाई को डूबता देख बड़ी बहन अंजली उसे बचाने गई, लेकिन तैरना नहीं जानने के कारण वह भी नदी में डूब गई। कुछ देर बाद दोनों के शव नदी में तैरते देख पड़ोस की एक बच्ची ने अंजलि और कान्हा रजक के नदी में डूबने की सूचना उनके परिजनों को दी। परिजन अन्य ग्रामीणों के साथ तत्काल नदी पर पहुंचे लेकिन तब तक दोनों चचेरे भाई-बहन नदी में डूब चुके थे। बाद में स्थानीय लोगों ने नदी से दोनों के शव बाहर निकाला।

सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों के शव को पोस्टमार्टम के लिए पोहरी भेज दिया है और मामले की जांच में जुट गई है। दोनों बच्चों की मौत के बाद गांव में कोहराम मचा है और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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