भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) की शिवराज सरकार (Shivraj government) ने एक बार फिर बाजार से कर्ज (loan) लिया है। प्रदेश के विकास और आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए सरकार ने एक हजार करोड़ का उधार लिया है। शिवराज सरकार के कार्यकाल में पिछले 30 दिनों में यह चौथा मौका है जब सरकार एक हजार करोड़ का कर्ज ले रही है। वहीं 7 माह में सरकार अब तक 10 बार कर्ज चुकी है।
कोरोना संक्रमण के चलते बेपटरी हुई प्रदेश की अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पहले से खाली पड़े प्रदेश सरकार के खजाने पर कोरोना महामारी के चलते दुगनी मार झेलनी पड़ी। प्रदेश में विकाय कार्य और आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से रुक गई। जिसके फलस्वरुप गिरती जीडीपी ने प्रदेश में आर्थिक संकट को ओर गहरा कर दिया। हालांकि सरकार अपने खर्चों में कटौती कर वित्तीय स्थिति को संभालने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन फिर भी आर्थिक संकट कम नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति में इस संकट से उबरने और विकास कार्यों को दोबारा गति देने के लिए सरकार को बाजार के भरोसे रहना पड़ रहा है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने 4 नवंबर को फिर से एक हजार करोड़ रुपए कर्ज 20 साल के लिए लिया है। जिसके बाद सरकार पर जनवरी से अब तक 22 हजार करोड़ का कर्ज बढ़ गया है।
7 माह में 10 बार लिया कर्ज
शिवराज सरकार का खजाना खाली होने के कारण वो लगातार कर्ज ले रही है। भाजपा सरकार ने 30 दिन में चौथी बार बाजार से 1 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। शिवराज सरकार अपने 7 महीने के कार्यकाल में 10वीं बार कर्ज ले रही है। इससे पहले सरकार ने 21 अक्टूबर, 13 अक्टूबर, 7 अक्टूबर और 10 सितंबर को भी बाजार से एक हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। जबकि उससे पहले 4 अगस्त और 7 जुलाई को सरकार 2 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है। 2 जून और 7 अप्रैल को भी सरकार ने बाजार से 500 करोड़ का कर्ज लिया था। इससे पहले सरकार 30 मार्च को 1500 करोड़ रुपये मांग चुकी थी।