Demonstration of Singrauli Contract Workers : संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ जिला इकाई सिंगरौली के समस्त संविदा कर्मचारियों के 19 दिसम्बर 2022 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने के कारण जहां एक ओर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी हो गई है, स्वास्थ्य संस्थाओं में लोग स्वास्थ्य सुविधा पाने के लिए मोहताज हैं।
संविदा कर्मचारियों की हड़ताल
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष मृगेन्द्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि मध्यप्रदेश के लगभग 32000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा वर्ष 2013, 2014, 2018 में हड़ताल की गई। 2018 में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा 42 दिन की हड़ताल की गई जिस पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा 5 जून 2018 को संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए नियमित कर्मचारियों के वेतनमान का 90 प्रतिशत मानदेय दिये जाने हेतु नीति बनायी गई किन्तु आज तक यह नीति लागू नहीं हो सकी, वहीं मध्यप्रदेश शासन के मुखिया माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने यह माना कि संविदा प्रथा गलत है ऐसी प्रथा नहीं होनी चाहिए ऐसी प्रथा को समाप्त करना चाहिए,किन्तु आज दिनांक तक इस पर कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया जिससे संविदा कर्मचारियों में मध्यप्रदेश शासन के खिलाफ आक्रोष है और 2022 में पुन: एक बार समस्त संविदा कर्मचारियों ने आर-पार की लड़ाई के लिए हड़ताल का रूख अपना लिया। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के हड़ताल में चले जाने के कारण स्थिति यह आ गई है कि स्वास्थ्य संस्थाओं में ताला लटका हुआ है और मरीज उपचार और दवाइयों के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं उन्हें किसी भी तरह की जांच, दवाई, उपचार जैसी सुविधा नहीं मिल पा रही है।
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ जिला इकाई सिंगरौली द्वारा आज हड़ताल के चौथे दिवस एक गतिविधि की गई जिसमें एक कहावत- भैंस के आगे बीन बाजे, खड़ी भैंस पगुराय अर्थात हमारी मध्यप्रदेश शासन जो कि संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा 2013 से 2018 तक किये गये हड़ताल पर ध्यान नहीं दिया गया, जिससे यह उदाहरण के तौर पर देखा जा रहा है कि सरकार के सामने धरना-प्रदर्शन का कोई असर नहीं हो रहा है।
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष वर्षा शुक्ला द्वारा मीडिया को बताया कि कोरोना जैसी भयावह बीमारी में समस्त संविदा कर्मचारियों ने अपने छोटे-छोटे बच्चों को घर में छोंड़कर सुबह से शाम तक अपनी जान जोखिम में डालकर आम-मानस की सेवा की उन्हें स्वास्थ्य सुविधायें मुहैया करायी गई यह जानते हुए भी कि किसी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी की डेथ हो जाने पर न तो उसके परिवार के किसी सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति मिलेगी न ही कोई सहायता राशि बावजूद इसके जान जोखिम में डालकर आम-जनमानस की सेवा की गई।
सिंगरौली से राघवेन्द्र सिंह गहरवार