नए संसद भवन के निर्माण पर कांग्रेस का सवाल, इतनी चुनौतियों के बीच इसकी क्या जरूरत ?

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)  ने गुरुवार को देश के प्रस्तावित नये संसद भवन (Parliament House) की आधारशिला रखी। नई दिल्ली में इंडिया गेट (India Gate) के पास सेंट्रल विस्टा कार्यक्रम (Central vista program) के तहत बन रहे नए भवन के इस कार्यक्रम में बस प्रतीकात्मक तौर पर शिलान्यास किया गया  लेकिन इसका निर्माण कार्य अभी नहीं शुरू हो सकता है क्योंकि इस संबंध में एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है.  संसद का यह नया भवन 20,000  करोड़ के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का एक अहम हिस्सा है, जिसमें राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैले 13.4  किलोमीटर  लंबे राजपथ पर पड़ने वाले सरकारी भवनों के पुनर्निमाण या फिर पुनर्उद्धार किया जाना है।  हालाँकि संसद भवन का अभी निर्माण शुरू नहीं होगा बावजूद इसके इसके निर्माण पर राजनीति शुरू हो गई है।  कांग्रेस ने इसे लेकर सवाल उठाये हैं।

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता केके मिश्रा ( KK Mishra) ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है और उनसे सवाल किया है।  कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा “नरेंद्र मोदी जी,ध्वस्त अर्थव्यवस्था,बेरोजगारी,हताश उद्योग-धंधों,मंहगाई,बेरोज़गारी, कोरोना से हो रही लाखों अंतहीन मौतों,बदतर स्वस्थ्य सेवाओं,किसान आंदोलन,सीमावर्ती तनाव,पेट्रोल-डीजल के बढ़ रहे बेतहाशा दामों सहित अन्य चुनौतियों के बीच 971 करोड़ खर्च कर नए संसद भवन की जरूरत क्यों?

गौरतलब है कि  गुरुवार को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भूमि पूजन कार्यक्रम संपन्न हुआ,  शुभ मुहुर्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  ने परम्परागत विधि विधान के साथ आधारशिला रखी.  लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई केंद्रीय मंत्री, बड़ी संख्या में सांसद और कई देशों के राजदूत इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी  बने। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बन रही यह चार मंजिला इमारत बिल्डिंग 64,500 वर्ग मीटर में फैली होगी और इसे बनाने में कुल 971 करोड़ का खर्च आएगा। उम्मीद की जा रही है कि  इसका निर्माण कार्य अगस्त 2022 यानि  देश के 75 वें स्वतंत्रता दिवस तक पूरा कर लिया जाएगा।

About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....