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कोरोना में मर गई समाज की संवेदनाएं, प्रशासन ने कराया महिला का अंतिम संस्कार

निवाड़ी, मयंक दुबे। कोरोना (Corona) महामारी में सकारात्मक और जागरूक रहने के लिए सबसे ज्यादा कहा जा रहा है लेकिन निवाड़ी जिले के एक गांव में जो घटना सामने आई है उसमें ये दोनों ही बाते बेमानी साबित हुई साथ ही रिश्ते भी तार तार होते दिखे । महामारी का इतना भय दिखा कि लोग अपने घरों में दुबके बैठे रहे और मृतक महिला के अंतिम से इंकार कर  दिया।  बाद में पुलिस और प्रशासन ने आकर मृतक महिला का अंतिम संस्कार कराया।

चिरपुरा गाँव में उस समय हड़कम्प मच गया जब गांव की ही रहने वाली संध्या मिश्रा की मलेरिया के चलते झांसी के अस्पताल में मौत हो गई। संध्या का शव जैसे ही गांव में आया लोग कोरोना के डर से खौफजदा होकर अपने घरों में दुबक गए। गांव में सन्नाटा पसर गया।  मृतका का बेटा रिश्तेदारों और गांव वालों को अंतिम क्रिया पूरी करवाने की गुहार लगाता रहा लेकिन घंटों तक लोग घरों से बाहर नहीं निकला। बेटा मां के शव के पास अकेला बैठा सिसकता रहा लेकिन किसी की संवेदनाएं नहीं जागी।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....