Ujjain News : कलेक्टर ने पकड़ा सरकारी अस्पताल में नवजात शिशुओं के नाम पर बड़ा घोटाला, जांच के आदेश

Pratik Chourdia
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उज्जैन, योगेश कुल्मी। शासकीय अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों का निजी अस्पतालों से मिलीभगत के बारे में बड़ा घोटाला(scam) सामने आया है। उज्जैन कलेक्टर(ujjain collector) श्री आशीष सिंह द्वारा किए गए आकस्मिक निरीक्षण(inspection) में ये बात सामने आई। इस निरीक्षण के बाद पूरे सिस्टम की जांच-पड़ताल हेतु कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ(CEO) को जांच के निर्देश दिए हैं।साथ ही गुरूनानक अस्पताल और सहर्ष अस्पताल को भी सात माह की डिलीवरी करवाने पर नोटिस(Notice) जारी करने के आदेश दिए हैं।

दरअसल, कई दिनों से शासकीय चरक अस्पताल के जिला मातृ एवं शिशु अस्पताल में भर्ती होने वाली महिलाओं को प्राइवेट अस्पतालों में भेजे जाने की शिकायत सामने आ रही थी। इसी सिलसिले में उज्जैन कलेक्टर श्री आशीष सिंह आकस्मिक ही इस अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंच गए। रिकॉर्ड के अनुसार जिला मातृ एवं शिशु अस्पताल (चरक) में जनवरी माह में कुल एक हजार से अधिक महिलाएं डिलीवरी के लिये भर्ती हुईं। इनमें से 429 महिलाएं या तो प्रसव के दौरान या प्रसव उपरान्त स्वयं की इच्छा से डिस्चार्ज होकर प्राइवेट अस्पताल(private hospital) में भर्ती हो गई। कुछ बिना बताये ही अस्पताल छोड़कर चली गई। कलेक्टर ने उक्त बात आज आकस्मिक निरीक्षण के दौरान पकड़ी और इस मामले की जांच करने के लिये जिला पंचायत सीईओ को निर्देश भी दिये। निरीक्षण के दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.महावीर खंडेलवाल, सिविल सर्जन डॉ.पीएन वर्मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ.संगीता पलसानिया मौजूद थी।

कलेक्टर ने कहा है कि सघन जांच के उपरान्त इसमें अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारियों की संलिप्तता एवं निजी नर्सिंग होम(private nursing home) की मिलीभगत पाए जाने पर दोनों ही के विरूद्ध कड़ी वैधानिक कार्यवाही की जायेगी। कलेक्टर ने लगभग तीन घंटे अस्पताल में रहकर अलग-अलग फ्लोर पर बने हुए मेटरनिटी हॉस्पिटल, आईओटी तथा पोषण पुनर्वास केन्द्र का निरीक्षण किया। पोषण पुनर्वास केन्द्र पर मात्र तीन कुपोषित बच्चे भर्ती पाये जाने पर उज्जैन शहर एवं उज्जैन ग्रामीण के चार परियोजना अधिकारियों को कारण बताओ सूचना-पत्र जारी करने के निर्देश दिये हैं।

कलेक्टर ने मौके पर डिस्चार्ज ऑन रिक्वेस्ट एवं बिना बताये डिस्चार्ज होने वाले मरीजों के जनवरी माह के आंकड़े अपने समक्ष कम्प्यूटर सेक्शन में जाकर निकलवाये तथा आंकड़ों के आधार पर डिस्चार्ज ऑन रिक्वेस्ट और बिना बताये डिस्चार्ज होने वाले मरीजों का प्रतिशत 42 होने पर चिंता व्यक्त की तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा सिविल सर्जन को निर्देशित किया कि इस सम्पूर्ण मामले की तह तक जाकर दोषी व्यक्तियों को चिन्हित किया जाये। कलेक्टर ने इसी तरह 1 से 20 फरवरी तक की डाटाशीट भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।


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CTO & Digital Head of MP Breaking News

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