उज्जैन : डॉक्टर की लापरवाही, महिला की सिजेरियन डिलीवरी के दौरान छोड़ा 40 सेमी लंबा कपड़ा

Gaurav Sharma
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40 cm long cloth left during woman's cesarean delivery

उज्जैन, डेस्क रिपोर्ट। उज्जैन(ujjain) से डॉक्टर की लापरवाही(negligence of doctor) का मामला सामने आया है, जहां सिजेरियन डिलीवरी(Cesarean delivery) के दौरान डॉक्टर ने महिला के पेट में कपड़ा (cloth) छोड़ दिया था। डॉक्टर की इस लापरवाही के चलते महिला की जान जाते जाते बची। महिला के पेट में कपड़ा होने के कारण उसके पेट पर सूजन (swelling on stomach) आ गई, जिसके चलते उसे तुरंत आईसीयू (ICU) में भर्ती करना पड़ा। ऑपरेशन में महिला के पेट से 40 सेमी लंबा कपड़ा निकाला गया।

वहीं इस पूरे मामले में उज्जैन के आरडी गार्डी मेडिकर कॉलेज (RD Gardi Medicar College of ujjain) की नोडल अधिकारी डॉ सुधाकर वैद्य का कहना है कि 25 वर्षीय कविता पति कैलाश जोकि आगर(Agar) की रहने वाली है। प्रसुता पीड़ा (Labor pain) के चलते उनके परिजन उन्हें राजस्थान के झालावाड़ (Jhalawar of Rajasthan) के अस्पताल लेकर गए थे। जांच में बच्चे का उलटा होना पाया गया। जिसके बाद उनकी सिजेरियन सर्जरी की गई। सर्जरी के कुछ दिन बाद ही महिला के पेट में सूजन आ गई। सूजन आने के चलते महिला को 10 दिनों के लिए आईसीयू में रखा गया था।

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वहीं जब आईसीयू (ICU) में होने के बावजूद भी महिला के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं आया तो उसके परिजन उसे उज्जैन लेकर आ गए। यहां महिला का सीटी स्कैन करवाया गया, जिसमें महिला के पेट में कपड़े जैसी कुछ चीज होना पाया गया। साथ ही महिला की कोविड एंटीजन रिपोर्ट भी पॉजिटिव पाई गई। 14 अक्टूबर को लैप्रोटॉमी के द्वारा महिला के पेट से 40 सेमी लंबा कपड़ा निकाला गया, जो ऑपरेशन में यूज होने वाले कपड़े जैसा था।

कपड़ा निकलने से ये आशंका जिताई जा रही है कि डॉक्टर ने लापरवाही करते हुए सीजेरियन के दौरान कपड़ा महिला के पेट में ही छोड़ दिया था। बता दें कि कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो करते हुए आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के डॉ. पीके राय और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. कल्पना महाडि़क ने सफलता पूर्वक ऑपरेशन कर के महिला के पेट से कपड़ा बाहर निकाला।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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