Mahakal: एक लोटा केसर जल से बाबा महाकाल ने खेली होली, नहीं छाया रंगों का उल्लास, मनाई गई प्रतीकात्मक रंगपंचमी

विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में हर साल रंग पंचमी का जमकर उल्लास छाता था। इस बार यह नजारा देखने को नहीं मिला और महाकाल को केवल एक लोटा रंग अर्पित किया गया।

Diksha Bhanupriy
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Mahakal Rangpanchami: विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के दरबार में हर त्यौहार का उल्लास बड़ी धूमधाम से छाया हुआ दिखाई देता है। होली, रंग पंचमी, राखी, दशहरा, दिवाली सब कुछ यहां वृहद स्तर पर आयोजित होता है और भक्त बड़ी संख्या में इसके साक्षी बनते हैं। आज रंग पंचमी है प्रदेश भर में रंगों का उल्लास छाया हुआ दिखाई दे रहा है लेकिन महाकाल मंदिर में इस बार रंग पंचमी का उल्लास वैसा नहीं है जैसा हर साल देखने को मिलता है। आज बाबा महाकाल को भस्म आरती के दौरान केसर और टेसू के फूलों से बना हुआ केवल एक लोटा रंग अर्पित किया गया।

एक लोटा जल से रंगपंचमी

सभी जानते हैं कि धुलेंडी के मौके पर मंदिर में रंग गुलाल उड़ाने के दौरान आगजनी की घटना हो गई थी। इस घटना में 14 लोग घायल हो गए थे जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया था। इस घटना को देखते हुए इतिहास के तौर पर इस बार भस्म आरती में रंग गुलाल उड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। भक्तों या फिर पांडे पुजारी किसी को भी अपने साथ रंग लाने की अनुमति नहीं है। मंदिर समिति द्वारा बाबा महाकाल के लिए फूलों का रंग बनाया गया था वही भस्म आरती के दौरान अर्पित किया गया।

नहीं नजर आया बृज सा रंग

हर बार रंग पंचमी के मौके पर महाकाल मंदिर में बृज जैसा नजारा देखने को मिलता था। रंग पंचमी के लिए टेसू के फूल से कई लीटर रंग बनाया जाता था। आरती के दौरान गर्भ गृह, नंदी हॉल और पूरे मंदिर परिसर में जमकर होली चलती थी। लेकिन इस बार यह नजर नजर नहीं आया और रात 2:00 बजे से ही भक्तों को अच्छी तरह से चेकिंग के बाद मंदिर में प्रवेश दिया गया। पंडे पुजारियों को भी जांच के बाद ही प्रवेश मिला। महाकाल को अर्पित किया गया रंग भी मंदिर की कोठार शाखा की ओर से पुजारी को उपलब्ध करवाया गया।

कम हुई भक्तों की संख्या

महाकाल मंदिर में हुई आगजनी की घटना के बाद काफी एहतियात बरता जा रहा है। भक्तों की संख्या ज्यादा नहीं बढ़ने दी जा रही है। 15 से ज्यादा श्रद्धालु गर्भगृह में एकत्रित नहीं होने दिए गए। भस्म आरती के दौरान पहले जहां 1750 श्रद्धालुओं को अनुमति मिलती थी। वह आंकड़ा अब 1400 पर पहुंच चुका है। आगे चलकर श्रद्धालुओं की ये संख्या सीमित कर दी जाएगी।


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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