पर्यावरण की रक्षा करेंगे इको फ्रेंडली गणेश, उज्जैन में गाय के गोबर से हो रहा मूर्ति निर्माण

Diksha Bhanupriy
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Ganesh Chaturthi 2023: हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का बहुत महत्व माना जाता है और यह पर्व श्री गणेश की स्थापना के साथ 10 दिनों तक बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। आने वाले त्योहार को लेकर अभी से तैयारी का दौर शुरू हो चुका है और सभी अपने-अपने हिसाब से बप्पा के स्वागत को लेकर काम में जुटे हुए हैं। जब गणपति प्रतिमा बैठाने की बात आती है तो हर कोई चाहता है कि वह इको फ्रेंडली गणेश जी स्थापित करे ताकि गजानंद उन्हें आशीर्वाद तो दे ही साथ ही पर्यावरण की रक्षा भी हो सके।

इसी को देखते हुए अब उज्जैन में गाय के गोबर से भगवान गणेश की प्रतिमा बनाई जा रही है। जिले की पिंगलेश्वर में इको फ्रेंडली मूर्ति को तैयार किया जा रहा है। गाय के गोबर का वैसे भी हिंदू रीति रिवाज में काफी महत्व माना गया है और इसे काफी शुद्ध माना जाता है। अब गोबर से बने गणेश जी की प्रतिमा जगह-जगह स्थापित होगी, जिससे प्रदूषण नहीं फैलेगा।

गाय के गोबर की प्रतिमा

उज्जैन की पिंगलेश्वर में निजी इंडस्ट्री द्वारा गाय के गोबर से गणेश प्रतिमा बनाने का नवाचार शुरू किया गया है। गाय के गोबर का सदुपयोग करते हुए यहां गणेश प्रतिमा को आकार दिया जा रहा है जिससे लोगों को रोजगार भी मिला है। पिछले कुछ समय से वैसे भी लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता काफी बढ़ गई है। ऐसे में श्री गणेश की गोबर से बनी हुई प्रतिमा लोगों को बहुत पसंद आने वाली है। प्रतिमा के अलावा पूजन सामग्री जैसे छोटे हवन कुंड, दीपक,धूपबत्ती का निर्माण भी गोबर के जरिए किया जा रहा है।

यहां मिलेगी मूर्तियां

उज्जैन में गोबर से बने हुए गणेश जी की प्रतिमा को लेकर पर्यावरण प्रेमी काफी उत्साहित हैं। जो लोग यह मूर्तियां खरीदना चाहते हैं वह अंकपात मार्ग स्थित गायत्री शक्तिपीठ और आरटीओ के सामने मौजूद महाकाल साहित्य भंडार से प्रतिमा की खरीदी कर सकते हैं, उन्हें यहां पर पूजन सामग्री भी मिल जाएगी।

गाय के गोबर से जुड़ी मान्यता

गोबर से तैयार की जा रही यह गणेश प्रतिमा इसलिए भी खास है क्योंकि हिंदू धर्म में गाय के गोबर को बहुत खास माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है। जब इसका इस्तेमाल किसी कार्य में किया जाता है तो शुभ परिणाम की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के मुताबिक गायक गोबर में पंच तत्वों का वास होता है। यही कारण है की देवी देवताओं को पूजने से पहले उसे जगह को गोबर से लीपा जाता है।

वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो अगर रासायनिक चीजों की जगह मिट्टी के साथ गोबर का इस्तेमाल किया जाए तो इससे जमीन की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और फसलों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है। फल, सब्जी, अनाज सभी की गुणवत्ता गाय के गोबर में मौजूद तत्वों के चलते बनी रहती है।


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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