उज्जैन के एक बुजुर्ग शख्स का 44 साल लंबा इंतजार आखिरकार रंग लाया और उन्हे उनकी जमीन वापस मिल गई, हालांकि उनकी इस लंबी लड़ाई में सबसे अहम भूमिका उपभोक्ता फोरम ने निभाई और उन्हे 40 साल बाद न्याय दिलवाते हुए भूखंड दिलवाया। जिला उपभोक्ता फोरम उज्जैन ने ऐतिहासिक फैसला करते एक गृह निर्माण समिति को निर्देश दिया कि वह उसे भूखंड प्रदान करे। साथ ही जिला उपभोक्ता फोरम उज्जैन ने यह भी आदेश दिया कि संस्था आवेदक को मानसिक कष्ट के लिए 5000 रुपये और परिवाद व्यय 3000 रुपये दो महीने की अवधि में अलग से अदा करे।
यह था मामला
दरअसल उज्जैन के इंद्रपुरी सेठी नगर के रहने वाले जितेंद्र कुमार शर्मा ने अवंतिका कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति मर्यादित उज्जैन से वर्ष 1979 में एक भूखंड 40 बाय 60 का बुक करवाया था। जितेंद्र शर्मा Nए अपनी जीवनभर की कमाई से इस भूखंड को खरीदा था, बुकिंग होने के बाद जितेंद्र शर्मा ने संस्था की मांग के अनुसार तत्काल इस भूखंड की तय राशि भी संस्था में जमा कर दी थी। इसके बाद संस्था ने जितेंद्र कुमार शर्मा के पक्ष में भूखंड क्रमांक 868 (40 बाय 60) आवंटित किया था, लेकिन इसके बाद संस्था ने शर्मा के पक्ष में विक्रय पत्र का निष्पादन नहीं किया। इस भूखंड के लिए शर्मा ने कई बार समिति के चक्कर लगाए लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई, कई बार कलेक्टर के भी पीड़ित ने चक्कर लगाए लेकिन कलेक्टर के आदेश के बावजूद समिति ने उनकी एक न सुनी। जितेंद्र कुमार शर्मा ने साल 2013 में मजबूर होकर जिला उपभोक्ता फोरम उज्जैन में संस्था के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत कर दिया। जिसके बाद जिला उपभोक्ता फोरम उज्जैन के अध्यक्ष जसवीर कौर सासन और सदस्य अतुल जैन ने इस मामलें को गंभीरता से लेते हुए प्रस्तुत दस्तावेजों का तथा संस्था की ओर से प्रस्तुत जवाब एवं शपथ पत्र का अवलोकन किया। उसके बाद फोरम ने जितेंद्र कुमार शर्मा के पक्ष में फैसला देते हुए अवंतिका कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति मर्यादित उज्जैन के विरुद्ध आदेश पारित किया।
यह आदेश दिया गया
इस मामलें में फोरम ने संस्था को आदेश दिया कि अगले 30 दिनों में आवेदक के पक्ष में उचित कार्रवाई करें और विक्रय पत्र का निष्पादन करे। वही इतने पुराने इस सौदे में भूखंड उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में संस्था द्वारा आवेदक को अगले दो महीनों में उसके द्वारा कुल जमा राशि का नौ फीसदी वार्षिक ब्याज की दर से जमा दिनांक से भुगतान करे। इसके साथ ही फोरम ने साफ कर दिया कि समिति अभी भी अगर इस आदेश को गंभीरता से नहीं लेती है तो उन्हे आवेदक की जमा राशि को 1979 से लेकर अब तक हर वर्ष 12 प्रतिशत ब्याज के साथ राशि वापस करनी होगी।