Harsiddhi Mandir Deepmalika Fees: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित माता हरसिद्धि का मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। यहां पर माता की कोहनी गिरी थी और भक्तों के बीच ये स्थान बहुत ही पूजनीय है। वैसे तो साल भर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्रि के मौके पर यह भीड़ बढ़ जाती है। बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से भक्त अपनी मुराद लेकर माता के दरबार में पहुंचते हैं। माता के मंदिर में हजारों साल पुरानी दो दीपमालिका मौजूद है जो भक्तों द्वारा प्रज्वलित करवाई जाती है।
पुरातन काल से मंदिर में स्थापित दीप मालिकाओं को पहले नवरात्रि के मौके पर ही प्रज्वलित किया जाता था लेकिन अब भक्तों की आस्था इसे साल भर जगमग बनाए रखती है। इसके लिए प्रत्येक भक्त से 3100 रुपए शुल्क लिया जाता था लेकिन अब इस नियम में परिवर्तन किया जा रहा है।
संख्या के आधार पर शुल्क
हरसिद्धि मंदिर प्रशासन द्वारा एक दिन दीपमालिका प्रज्वलित करने के लिए 13 से 15000 रुपए खर्च किए जाते हैं। वहीं जो भक्त सामूहिक रूप से दीपमालिका प्रज्वलित करवाना चाहते थे, उनसे 3100 शुल्क लिया जाता था। अब नियम परिवर्तन करते हुए एक दिन में जितने भक्त होंगे खर्च को उन सभी में विभाजित किया जाएगा।
इस नए नियम के बाद यदि 1 दिन में 10 भक्त दीप मलिक जलवाना चाहते हैं तो एक व्यक्ति को सिर्फ 1500 रुपए ही खर्च उठाना होगा। अगर भक्तों की संख्या इससे ज्यादा रहती है तो यह खर्च और भी कम हो जाएगा। यह निर्णय भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा भक्त माता के प्रांगण में दीप प्रज्वलित करवा सके। हालांकि, इसके लिए भक्तों को एक दिन पहले तय समय पर बुकिंग करवानी होगी।
अब दिवाली के बाद होगी बुकिंग
माता हरसिद्धि कई भक्तों की आस्था का केंद्र हैं, यही कारण है कि यहां महीनों पहले ही दीपमालिका प्रज्वलित करने की बुकिंग हो जाती है। इस साल भी 31 दिसंबर तक की सारी बुकिंग फुल हो चुकी है। अब केवल उन भक्तों की बुकिंग की जाएगी जो शारदीय नवरात्रि के दौरान सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित करवाना चाहते हैं। वहीं ऐसे लोग जो अकेले ही दोनों दीप स्तंभों को प्रज्वलित करवाना चाहते हैं उन्हें बुकिंग के लिए साल 2024 के आने का इंतजार करना होगा। इस वर्ष की दिवाली के बाद अगले वर्ष की बुकिंग शुरू हो जाएगी।
मराठा काल के स्तंभ
हरसिद्धि मंदिर में जो दीप स्तंभ है वह काफी पुराने हैं और इन्हें मराठा काल का बताया जाता है। भक्तों के बीच यही दीपमालिका के नाम से प्रसिद्ध है। यहां एक स्तंभ पर 501 दीपक हैं जिन्हें प्रज्वलित करने में चार डिब्बे तेल लगता है। अब तक तो लोग इस स्तंभ पर चढ़कर दीप प्रज्वलित करते थे, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से अब हाइड्रोलिक ट्राली के जरिए दीपमालिका प्रज्वलित की जाएगी।