Mahakal: देश में सबसे पहले महाकाल में होगा होलिका दहन, भक्ति में लीन भक्त होंगे रंगों से सराबोर

विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के दरबार में होली का त्यौहार सबसे पहले मनाया जाएगा। होलिका दहन के बाद जमकर अबीर गुलाल उड़ेगा।

Diksha Bhanupriy
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Mahakal Bhasm Arti Mandir

Mahakal: विश्व भर में कोई भी त्यौहार बाबा महाकाल के दरबार में सबसे पहले मनाया जाता है। दीपावली हो या फिर होली हर त्यौहार का उल्लास सबसे पहले यहीं पर छाता है। होलिका दहन भी एक ऐसा त्यौहार है जो सबसे पहले महाकाल मंदिर में मनाया जाता है। देश दुनिया में जब होली का त्यौहार मनाया जाता है उसके एक दिन पहले ही महाकाल में होलिका दहन हो जाता है। इस बार भी सबसे पहले महाकाल में होली जलाई जाएगी।

कब है महाकाल की होली

पंचांग के मुताबिक महाकालेश्वर मंदिर में 24 मार्च 2024 को प्रदोष काल के समय होलिका दहन किया जाएगा। इसके बाद अगले दिन 25 मार्च 2024 को भस्म आरती के बाद मंदिर में रंग उत्सव होगा। जिसमें जमकर अबीर गुलाल उड़ाया जाएगा।

जमकर उड़ेगा रंग

विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल का दरबार ही एक ऐसी जगह है जहां पर बिना किसी मुहूर्त के होलिका दहन किया जाता है। होलिका पूजन और दहन के बाद मंदिर में सबसे पहले राजाधिराज के साथ होली खेली जाती है। इस दौरान हजारों भक्त मंदिर में पहुंचते हैं और रंग गुलाल से सराबोर नजर आते हैं। बाबा महाकाल के साथ होली खेलने के इस अवसर का भक्तों को सालभर इंतजार रहता है।

होली का मुहूर्त

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च 2024 की रात 11:13 से 12:27 तक रहने वाला है।

बदलेगी महाकाल की दिनचर्या

सर्दियों का मौसम होने की वजह से अब तक बाबा महाकाल को गर्म जल से स्नान करवाया जा रहा था। अब होली के बाद गर्मी का मौसम शुरू हो जाएगा और बाबा महाकाल को एक बार फिर शीतल जल से स्नान करवाना शुरू कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं मौसम परिवर्तन के साथ आरती के समय में भी बदलाव होगा। कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा तक यह बदलाव जारी रहने वाला है। बाबा महाकाल के दरबार में हर त्यौहार सबसे पहले मनाया जाता है। होलिका दहन भी विश्व भर में सबसे पहले महाकाल मंदिर में किया जाएगा।

बदलेगा आरती का समय

महाकालेश्वर मंदिर में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाने वाला है। इसी के साथ प्रतिदिन होने वाली भर्तियों के समय में बदलाव होगा। वर्ष में दो बार आरती के समय में 30 मिनट का बदलाव होता है। चलिए आपको बताते हैं कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा के बाद समय में क्या बदलाव होगा।

  • दद्योदक आरती फिलहाल सुबह 7:30 से शुरू होती है, जो 7:00 से शुरू की जाएगी।
  • भोग आरती का समय फिलहाल सुबह 10:30 बजे चल रहा है जो सुबह 10:00 बजे से किया जाएगा।
  • संध्या आरती शाम 6:30 शुरू की जाती है, जो 7 बजे शुरू होगी।

अन्य आरतियों का समय

इसी के साथ भस्म आरती सुबह 4 से 6 बजे, संध्या आरती 5 से 5:45 और शयन आरती 10:30 से 11:00 बजे तक की जाएगी।


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Diksha Bhanupriy

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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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