Mahakal Diwali Celebration : विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के दरबार में कोई भी त्यौहार सबसे पहले मनाया जाता है। दीपावली का त्यौहार भी महाकाल के आंगन में सबसे पहले मनाया गया और तड़के भस्म आरती के साथ इसकी शुरुआत हुई। आज पुजारी पहली बार की महिलाओं द्वारा बाबा महाकाल को हल्दी चंदन का उबटन लगाया गया और गर्म जल से स्नान करवाने के बाद सोने चांदी के आभूषणों से श्रृंगार किया गया। बाबा को अन्नकूट का भोग अर्पित कर आरती की गई।
सबसे पहले महाकाल की दिवाली
हिंदू धर्म में आने वाला कोई भी त्यौहार बाबा महाकाल के आंगन में सबसे पहले मनाया जाता है। महाकाल तो वैसे भी उज्जैन के राजा हैं और सबसे पहले कोई भी त्यौहार उन्हीं के दरबार में मनाया जाता है और उसके बाद उनकी प्रजा यानी उज्जैन की जनता त्यौहार मनाती है। होली और राखी की तरह दीपावली का त्यौहार मनाया गया।
बाबा का अभ्यंग स्नान
रूप चतुर्दशी का अवसर होने पर पुजारी परिवार की महिलाओं को बाबा महाकाल को चंदन केसर का उबटन लगाने का मौका मिला। इसके बाद गर्म जल से बाबा का अभ्यंग स्नान करने के बाद उनका विशेष श्रृंगार किया गया। स्नान के बाद बाबा को नए वस्त्र और आभूषण बनाए गए और भव्य श्रृंगार कर अन्नकूट का भोग लगाया गया।
दो बार अन्नकूट
दीपावली का खास दिन होने के बाद मंदिर में दो बार अन्नकूट का भोग लगाए जाने वाला है। सबसे पहले भस्म आरती के दौरान पुजारी परिवार अन्नकूट को अर्पित कर चुका है। वहीं अब भोग आरती में भी बाबा को अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा। भक्त दीपावली के दिन बाबा के अद्भुत स्वरूप के दर्शन कर सकेंगे। रात 10:30 बजे आने वाली शयन आरती तक मंदिर में दीपावली का उल्लास दिखाई देगा।