5 एकड़ भूमि पर बनाया जा रहा Mahakal Cultural Forest, एक साथ नजर आएगी अध्यात्म और प्रकृति की झलक

उज्जैन आने वाले पर्यटकों को अब आध्यात्मिक और प्राकृतिक एहसास एक ही जगह पर करने का मौका मिलेगा। दरअसल यहां महाकाल सांस्कृतिक वन तैयार किया जा रहा है।

Diksha Bhanupriy
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Mahakal Cultural Forest: उज्जैन में जब से महाकाल लोक का निर्माण हुआ है यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में जमकर इजाफा देखने को मिला है। अब यहां पर महाकाल सांस्कृतिक वन भी बनाया जा रहा है जो पर्यटकों के लिए एक और आकर्षण का केंद्र होगा। इस वन क्षेत्र को 5 एकड़ जमीन पर तैयार किया जाएगा। यहां पर सनातन धर्म और संस्कृति की झलक देखने को मिलने वाली है। जो भी पर्यटक उज्जैन पहुंचते हैं उन्हें यहां घूमने के लिए वैसे भी जगह की कमी नहीं है। इस वन के निर्माण के बाद एक और जगह बढ़ जाएगी जहां पर्यटक घूम फिर सकेंगे।

होंगे ये निर्माण

यहां श्रीराम वाटिका, श्री कृष्ण वाटिका, कालिदास वाटिका, नक्षत्र वन, सप्त ऋषि वाटिका, अशोक वाटिका, हर्बल नर्सरी जैसी चीज बनाई जाने वाली है। इन चीजों के निर्माण के बाद यहां आध्यात्मिक और प्राकृतिक दोनों ही एहसास एक साथ होने वाले हैं।

नजर आएगा गौरवशाली इतिहास

इस वन में चारों ओर हरियाली नजर आने वाली है। अध्यात्म से इसका गहरा संबंध रहेगा यही कारण है कि यहां जो रास्ते बनाए गए हैं। उनके आसपास भोलेनाथ, श्री राम और श्री कृष्ण के प्रिय पौधे लगाए जा रहे हैं। यहां पर सम्राट विक्रमादित्य का सिंहासन भी बनाया जा रहा है। इसमें एक भव्य प्रवेश द्वार होगा जिसके शिखर पर लगा भव्य त्रिशूल आध्यात्मिक एहसास देने वाला है। ये वन जैव विविधता संरक्षण के साथ सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण भी करने वाला है।

कहां हो रहा निर्माण

इस वन का निर्माण विक्रम विश्वविद्यालय के खेल मैदान और विक्रम सरोवर के पास हो रहा है। इसका प्रवेश द्वार सम्राट विक्रमादित्य संकुल भवन से देवास रोड पहुंच मार्ग के बीच बनाया गया है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव वर्चुअली इसका भूमि पूजन कर चुके हैं। वन क्षेत्र का निर्माण होने के साथ अब विक्रम सरोवर को संवारने की तैयारी भी की जा रही है और इसके लिए निविदा आमंत्रित की गई है।

ऐसी है कार्ययोजना

सांस्कृतिक विरासत को समेटे इस वन के निर्माण के लिए 8 करोड रुपए की योजना तैयार की गई है। जमीनी तौर पर कुछ कार्य शुरू हो चुके हैं और लगातार इसका प्रचार प्रसार किया जा रहा है। इस वन को गुजरात के सांस्कृतिक वन फार्मूले के आधार पर तैयार किया जा रहा है। इस तरह का वन सिर्फ उज्जैन ही नहीं बल्कि छतरपुर, सतना और भोपाल में भी तैयार किया जा रहा है।


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Diksha Bhanupriy

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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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