Mahakaleshwar Shivratri: महाशिवरात्रि के मौके पर बाबा महाकाल के दरबार में भक्तों का हुजूम उमड़ रहा है। भस्म आरती समय से ही भक्त लाइन में लगकर अपने आराध्य के दर्शन करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस बार श्रद्धालुओं के लिए नाश्ते और फलाहार की व्यवस्था भी की गई है और सुगम दर्शन कराने के लिए प्रशासन जुटा हुआ है।
महाशिवरात्रि के अवसर पर सुबह 3 बजे ही मंदिर के पट खोल गए थे 4 बजे से 5 बजे तक भस्म आरती हुई और इस दौरान चलित दर्शन का सिलसिला चलता रहा। इसके बाद श्रद्धालुओं को नाश्ते का वितरण किया गया। पहली बार डोसा, सांभर, नारियल की चटनी, सांभर बड़ा और पुलाव जैसे दक्षिणी व्यंजन नाश्ते में परोसे गए। 11 बजे तक नाश्ते का वितरण किया गया और दोपहर से देर रात तक फलाहार के रूप में खिचड़ी का वितरण जारी रहेगा। यह इंतजाम मंदिर समिति की ओर से निशुल्क रखा गया है।
प्रसादी के 300 काउंटर
महाकालेश्वर दर्शन के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालु बड़ी संख्या में अपने साथ लड्डू प्रसादी लेकर जाते हैं। इसी को देखते हुए 30 काउंटर बनाए गए हैं जो हरसिद्धि मंदिर के पास, हरसिद्धि पाल की पार्किंग, झालरिया मठ और भील समाज धर्मशाला के पास मौजूद है। आम दिनों में मंदिर के अंदर एक और बाहर दो काउंटर पर यह सुविधा उपलब्ध रहती है।
ऐसी है Mahakaleshwar Shivratri
महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद पहली बार महाशिवरात्रि का पर्व पड़ा है। मां के दर्शन के लिए रात 10 बजे से ही भक्तों की कतार लगना शुरू हो गई थी। बाबा लगातार 44 घंटे तक दर्शन देने वाले हैं क्योंकि शनि प्रदोष होने की वजह से यह दिन और भी खास हो गया है।
सुबह भस्म आरती होने के बाद बाबा का पंचामृत जल अभिषेक किया गया और नए वस्त्र धारण करवा कर रुद्राक्ष की माला पहनाई गई। आभूषण पहने महाकाल राजा स्वरूप में दिखाई दिए। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए भस्मारती में भी चलायमान दर्शन व्यवस्था रखी गई थी जिसके चलते अधिक श्रद्धालुओं को भस्म आरती के दर्शन का लाभ मिला।
आठ दिन पहले शुरू हो जाता है पर्व
महाकालेश्वर मंदिर देश में मौजूद एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां महाशिवरात्रि का पर्व 8 दिनों पहले से मनाया जाता है। इस दौरान बाबा का पूजन अभिषेक करने के बाद अलग अलग स्वरूप में श्रृंगार किया जाता है। शिवरात्रि से 1 दिन पहले रात्रि में त्रिकाल पूजन होती है जिसमें महाकालेश्वर का फलों के रस से अभिषेक किया जाता है और 7 तरह के धान अर्पित किए जाते हैं।
मंदिर में 10 फरवरी से शिव नवरात्रि पर्व की शुरुआत हो गई थी। के तहत कोटेश्वर महादेव का प्रातः 8 बजे से 9 बजे तक अभिषेक पूजन किया जाता है और इसके बाद महाकालेश्वर का अभिषेक होता है। इसके अलावा 11 ब्राह्मणों द्वारा शिवनवरात्रि के दौरान एकादशी एकादशिनी रुद्राभिषेक भी किया जाता है। भोग आरती के बाद 3 बजे वापस पूजन और श्रृंगार होता है और महाकाल को अलग-अलग मुखारविंद और आभूषण पहनाए जाते हैं। रात में शयन आरती के पूर्व बाबा को धारण करवाए थे सभी चीजों को हटाकर आरती की जाती है और 9 दिनों तक यह क्रम लगातार चलता है।
महाशिवरात्रि पर पूजन अर्चन
दोपहर 12 बजे तहसील की ओर से पूजन अभिषेक होता है। इसके बाद 2:30 से 3 बजे तक कोटेश्वर महादेव का पूजन और 3 से 6:00 बजे तक भगवान महाकाल का पारंपरिक एकादशिनी रुद्राभिषेक किया जाएगा। इसके बाद होलकर और सिंधिया स्टेट की ओर से पूजन अर्चन होगा। नित्य संध्या आरती में भगवान को गर्म और मीठे दूध का भोग लगाया जाएगा। शाम 7 बजे के बाद कोटेश्वर महादेव का पंचामृत पूजन, सप्त धान अर्पण, सेहरा श्रृंगार आरती की तैयारी रात 10 बजे तक की जाएगी।
रात 11 बजे बाबा महाकाल का महाभिषेक किया जाएगा जिसमें 101 लीटर दूध, 31 किलो दही, 21 किलो खांडसारी, 15 किलो घी, 21 किलो शहद, 5 प्रकार के फलों का रस, 11 किलो गन्ने का रस, गुलाब जल, गंगाजल भांग और केसर मिश्रित दूध शामिल होगा। अभिषेक के बाद भगवान को गर्म जल से स्नान करवाकर नए वस्त्र धारण करवाए जाएंगे और सप्तधान मुखारविंद धारण करवा कर 108 किलो धान अर्पित होगा।
इसके पश्चात रात्रि में बाबा महाकाल को सेहरा बांधा जाएगा और स्वर्ण आभूषण धारण करवाने के बाद सेहरा आरती सुबह 5:50 से 6 बजे तक की जाएगी। इसी के साथ भोग के रूप में पंचमेवा और पंच मिष्ठान समेत फल और अन्य चीजें अर्पित की जाएगी। 19 फरवरी को सुबह 11 बजे बाबा का सेहरा उतारा जाएगा और दोपहर 12 बजे भस्म आरती कर भोग आरती और ब्राह्मण भोज रखा जाएगा। 21 फरवरी को बाबा महाकाल पंचानन स्वरूप में दर्शन देंगे जो शिवनावरात्री के सारे स्वरूपों के दर्शन का लाभ देता है।