Ujjain: महाअष्टमी के मौके पर इस साल फिर उज्जैन में नगर पूजा का आयोजन किया गया। नवरात्रि में अष्टमी के दिन माता को मदिरा का भोग लगाया जाता है और उसके बाद 27 किलोमीटर तक मदिरा की धार चढ़ाई जाती है। यह परंपरा बरसों से चली आ रही है। इस बार भी मान्यता के मुताबिक श्री पंचायती अखाड़ा निरंजन की ओर से 24 खंबा स्थित माता महामाया और महालाया के मंदिर में मदिरा का भोग लगाया गया।
कलेक्टर लगाते हैं भोग
शारदीय नवरात्रि में कलेक्टर द्वारा माता को मदिरा का भोग लगाया जाता है। परंपरा के मुताबिक नगर का राजा अष्टमी के दिन माता को मदिरा का भोग लगाता है। कलेक्टर को नगर का राजा कहा जाता है इसलिए जो कलेक्टर के पद पर रहता है वह इस परंपरा का निर्वहन करता है।
सदियों से चल रही परंपरा
धार्मिक नगरी उज्जैन में सुख शांति समृद्धि और बीमारियों का प्रकोप कम करने के लिए प्रतिवर्ष नगर पूजा का आयोजन किया जाता है। यह परंपरा है यहां सदियों से चली आ रही है। हजारों साल पहले उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य यह पूजा किया करते थे। सिंधिया स्टेट में भी है परंपरा कायम रही और अब तक चली आ रही है।
27 किमी तक मदिरा की धार
24 खंबा माता मंदिर पर दोनों माता को मदिरा अर्पित करने के बाद 27 किलोमीटर की परिक्रमा की जाती है। शहर के प्रमुख मार्गो से होती हुई यह यात्रा रास्ते में पड़ने वाले देवी और भैरव मंदिरों में मदिरा का भोग लगाते हुए रात 8 बजे हांडी फोड़ भैरव पर समाप्त होती है। इस यात्रा के दौरान ढोल धमाके के साथ 40 देवी और भैरव मंदिरों में पूजन अर्चन किया जाता है। हनुमान मंदिर में भी पूजन होता है। देवी और भैरव मंदिर में मदिरा तो हनुमान जी को ध्वजा अर्पित की जाती है।