Navratri 2021: कोरोना को खत्म करने अष्टमी पर नगर पूजा, कलेक्टर-SP ने देवी को चढ़ाई शराब 

Kashish Trivedi
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उज्जैन, डेस्क रिपोर्ट। नवरात्र (Navratri 2021) की अष्टमी (Mahaashtmi) पर उज्जैन (ujjain) में आज नगर पूजन में माता मंदिर पर शराब चडाई गयी। परंपरा अनुसार चोबीस खम्बा  माता मंदिर में की गई। आरती में उज्जैन कलेक्टर और एसपी  शामिल हुवे। उज्जैन के चोबीस खम्बा माता मंदिर में बुधवार सुबह  महामारी से निजात दिलाने के लिए उज्जैन कलेक्टर ने चौबीस खम्बा मंदिर के महालया और महामाया माता  को मदिरा पिलाकर महामारी से निजात दिलाने की प्राथना की। मान्यता है की यहाँ माता की पूजा राजा विक्रमादित्य करते थे। इसी परंपरा का निर्वाह जिलाधीश और एसपी  द्वारा किया गया हें।

यहाँ कलेक्टर आशीष सिंह और एसपी सत्येंद्र शुक्ल  ने माता को मदिरा का भोग लगाया। जिसके बाद 27 की मी तक शहर में शराब की धार चड़ा कर अलग अलग भैरव मंदिरों में शराब का भोग लगाया जाएगा। उज्जैन कलेक्टर और एसपी भी कुछ दूर तक शराब की हंडी लेकर पैदल चले। कलेक्टर आशीष  सिंह ने कहा की मान्यता है की देवी के पूजन से महामारी खत्म होती है। इसी के चलते उज्जैन शहर की और से देवी से प्राथना की गयी की दुनिया में महामारी का दौर ख़त्म हो।

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ये मान्यता है चौबीस खम्बा माता मंदिर की  

चोबीस खम्बा माता के यंहा महालया और महामाया के मंदिरों में उज्जैन कलेक्टर ने मदिरा  चडाकर माता की अराधना की। राजा विक्रमादित्य के समय  से प्रारंभ हुई यह परंपरा को जिला प्रशासन उज्जैन आज भी उसी प्रकार से निर्वाहन  कर रहा है। मान्यता है की इन मंदिरो में माता को मदिरा का भोग लगाने से शहर में महामारी के प्रकोप से बचा जा सकता है।

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लगभग 27 किमी लम्बी इस महापूजा में 40 मंदिरों में मदिरा का  भोग लगाया जाता है . सुबह से  प्रारंभ होकर यह यात्रा शाम तक खत्म होती है। यह यात्रा उज्जैन के प्रसिद्ध माता मंदिर 24 खंबामाता मंदिर से प्रारंभ होकर ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर पर शिखर ध्वज चढ़ाकर समाप्त होती है। इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है। जिसमें नीचे छेद होता है। जिससे पूरी यात्रा के दौरान मदिरा की धार बहाई जाती है जो टूटती नहीं है। महामारी से बचने के लिए माता को खुश कर कलेक्टर ने माता को शराब का भोग लगाया  और शहर को महामारी से बचाने का  आशीर्वाद लिया।

मदिरा का प्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित 

पूजन खत्म होने के बाद माता मंदिर में चढ़ाई गयी शराब को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बाँट दिया गया।  जिसमे बड़ी संख्या में पुरुष श्रद्धालु थे तो वंही कुछ महिला  भक्तो ने भी मदिरा का प्रसाद ग्रहण किया

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क्या है इतिहास और महत्व 

उज्जैन में कई जगह प्राचीन देवी मन्दिर है, जहां नवरात्रि में पाठ-पूजा का विशेष महत्व है। नवरात्रि में यहां काफी तादाद में श्रद्धालु दर्शन के लिये आते हैं। इन्हीं में से एक है चौबीस खंबा माता मन्दिर। कहा जाता है कि प्राचीनकाल में भगवान महाकालेश्वर के मन्दिर में प्रवेश करने और वहां से बाहर की ओर जाने का मार्ग चौबीस खंबों से बनाया गया था। इस द्वार के दोनों किनारों पर देवी महामाया और देवी महालाया की प्रतिमाएं स्थापित है। सम्राट विक्रमादित्य ही इन देवियों की आराधना किया करते थे। उन्हीं के समय से अष्टमी पर्व पर यहां शासकीय पूजन किये जाने की परम्परा चली आ रही है।

उज्जैन नगर में प्रवेश का प्राचीन द्वार है। नगर रक्षा के लिये यहां चौबीस खंबे लगे हुए थे, इसलिये इसे चौबीस खंबा द्वार कहते हैं। यहां महाअष्टमी पर शासकीय पूजा तथा इसके पश्चात पैदल नगर पूजा इसीलिये की जाती है ताकि देवी मां नगर की रक्षा कर सके और महामारी से बचाये ।


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