Sikandar disappeared from the proverb : ‘जो जीता वही सिकंदर’ अब तक आपने ये मुहावरा खूब सुना होगा..कई बार इस्तेमाल भी किया होगा। लेकिन अब ये मुहावरा बदल दिया गया है। अबसे कहा जाएगा ‘जो जीता वही सम्राट विक्रमादित्य।’ ये अभियान छेड़ा है उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति ने। उनका कहना है कि हमारे देश में असली आदर्श महाराज विक्रमादित्य हैं और सिकंदर को किसी भी स्थिति में युवाओं के लिए आदर्श के रूप में स्थापित करना गलता है। इसलिए अब उन्होने ये मुहावरा ही बदल दिया है।
बदलाव की बयार चल रही है..जगहों के नाम बदले जा रहे हैं, इतिहास बदला जा रहा है। ऐसे में भला भाषा को कैसे बख्श दिया जाए। मुहावरे, कहावतें, लोकोक्तियां..भाषा का अहम हिस्सा है और अब इन्हें बदलने की कवायद भी शुरू हो चुकी है। उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडे ने कहा कि हमें अपनी विरासत पर गर्व करना चाहिए और हमें अपने महापुरूषों को आदर्श के रूप में स्थापित करना चाहिए। उन्होने कहा कि सिकंदर हमारे आदर्श नहीं हो सकते और हम एक अभियान के तहत अबसे ‘जो जीता वही सम्राट विक्रमादित्य’ मुहावरा प्रचलन में लाएंगे।
इस तरह अब यहां विक्रम के कुलपति के आदेशानुसार प्रोफेसर छात्रों को ये नया मुहावरा पढ़ाएंगे । कुलपति का मानना है कि इससे गुलामी की मानसिकता से आजादी मिलेगी और युवाओं को प्रेरणा मिलेगी। बुधवार को विश्वविद्यालय में हुई कार्यपरिषद की बैठक में कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडे ने इस बारे में सभी प्रोफेसर्स को निर्देश दिए है। उनका कहना है कि अब आगे से छात्रों को बदले हुए मुहावरे को पढ़ाया जाए। हालांकि इस संबंध में कोई लिखित आदेश अभी तक जारी नहीं किया गया है। उन्होने कहा कि वो कोर्स कंटेंट में, अपने तमाम फंक्शंस में, सोशल मीडिया पर, कुलपति सम्मेलन, शिक्षाविदों की बैठक, युवा पंचायत आदि सभी स्थानों पर इसे प्रचारित करेंगे।