Harsiddhi Mandir: उज्जैन में स्थित हरसिद्धि मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जो करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। माता के इस दरबार में वर्षों से दो दीप स्तंभों को प्रज्वलित किया जाता है। पहले ये सिर्फ नवरात्रि में जलाए जाते थे लेकिन भक्तों की आस्था से अब ये साल भर प्रज्वलित रहते हैं। मंदिर में मौजूद ये दीपमालिका 6 सदस्यीय टीम तैयार करती है लेकिन अब हाइड्रोलिक सिस्टम का सहारा लिया जाएगा।
2 हजार साल पुराने स्तंभ
माता हरसिद्धि उज्जैन के राजा सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी थी। इस मंदिर में सबसे आकर्षण का केंद्र यहां मौजूद दीप स्तंभ है। 51 फीट ऊंचे इस स्तंभ पर 1 हजार 11 दीपक है और ये लगभग 2 हजार साल पुराने है।
खतरे को देखते हुए फैसला
मंदिर में मौजूद इन दीप स्तंभों पर रोजाना शाम आरती से पहले 6 लोग मिलकर सारे दीप प्रज्वलित करते हैं। एक बार में इन स्तंभों को प्रज्वलित करने का खर्चा 15 हजार रुपए आता है। जब दीपकों को प्रज्वलित किया जाता है ये स्तंभ पूरी तरह से तेल में भीग जाता है। ऐसे में जो लोग चढ़कर इन्हें प्रज्वलित करते हैं उनके गिरने का खतरा बना रहता है। इसी के चलते सुरक्षा कारणों को देखते हुए अब मंदिर में हाइड्रोलिक सीढ़ी ले माध्यम से स्तंभ प्रज्वलित करने का फैसला लिया गया है। एक हफ्ते के अंदर यहां ये व्यवस्था शुरू हो जाएगी।
यहां गिरी थी माता की कोहनी
हरसिद्धि का ये मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के पीछे स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक यहां पर माता सती के दाहिने हाथ की कहानी गिरी थी, जिसके बाद यहां शक्तिपीठ का निर्माण हुआ। यह सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी भी है और नवरात्र के मौके पर ना सिर्फ स्थानीय बल्कि देश विदेश से पहुंचे लोगों की आस्था भी यहां देखने को मिलती है।