Thu, Dec 25, 2025

Simhastha Mahakumbh 2028: सिंहस्थ महापर्व के लिए उज्जैन में होगी साधु-संतों की बैठक, इन मुद्दों पर करेंगे चर्चा

Written by:Diksha Bhanupriy
Published:
Simhastha Mahakumbh 2028: सिंहस्थ महापर्व के लिए उज्जैन में होगी साधु-संतों की बैठक, इन मुद्दों पर करेंगे चर्चा

Simhastha Mahakumbh 2028 Ujjain: साल 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ महाकुंभ का आयोजन होने वाला है, जिसे लेकर तैयारियों का दौर अभी से जारी है। इसी कड़ी में साधु-संतों के साथ 13 तरह के अखाड़ों की बैठक का आयोजन होगा। जिसमें सिंहस्थ क्षेत्र के अतिक्रमण से लेकर शिप्रा स्वच्छता और अन्य प्रमुख बिंदुओं पर विचार विमर्श किया जाएगा। शिप्रा शुद्धिकरण के चलते जूना अखाड़ा को 5 स्थानों से जल के नमूने लेने को कहा गया है, जिसकी निजी लैब में जांच कराई जाएगी।

Simhastha Mahakumbh 2028 की तैयारी

12 साल में एक बार होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ का आयोजन वृहद स्तर पर किया जाता है और इस दौरान शिप्रा जल से स्नान का खास महत्व होता है। इसी के चलते अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरिगिरि जी महाराज का कहना है कि शिप्रा शुद्धिकरण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। शिप्रा का जल सदा स्वच्छ और प्रवाहमान बना रहे इसके लिए बांध बनाए जाने की आवश्यकता है। बैठक के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी और साधु संत क्या चाहते हैं इस बात से राज्य सरकार को अवगत करवाया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी बैठक के बारे में जानकारी दी जा रही है, हो सकता है कि वह भी उज्जैन आकर संतों से चर्चा करें।

 

यहां होगी बैठक

इस महीने 28 और 29 मई को दत्त अखाड़ा और दातार अखाड़ा में बैठक का आयोजन किया जाने वाला है। 30 मई को गंगा दशहरा है और इस अवसर पर नीलगंगा सरोवर पर बैठक का आयोजन होगा जिसमें तमाम अखाड़े के साधु-संत शामिल होंगे।

शिप्रा का बने बांध

जब भी शिप्रा को प्रवाह मान बनाए रखने की बात आती है तो यह देखा जाता है कि इसमें नर्मदा का जल छोड़ दिया जाता है। इसे लेकर साधु संतों का कहना है कि शिप्रा को उसी के जल से प्रवाहमान बनाया जाना चाहिए और इसके लिए एक बांध का बनना अनिवार्य है, ताकि वर्षा का जल संग्रहित हो सके और साल भर शिप्रा का पानी बहता रहे।

आएंगे 11 करोड़ श्रद्धालु

सिंहस्थ महाकुंभ 2028 में एक बार फिर देश विदेश के श्रद्धालुओं का जमावड़ा उज्जैन में लगता हुआ दिखाई देगा। अखाड़ों के मुताबिक लगभग 11 करोड लोगों के महाकाल नगरी पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। जो श्रद्धालु उज्जैन पहुंचेंगे वह ओंकारेश्वर और महेश्वर भी जाएंगे। उज्जैन में तैयारी करने के अलावा इन स्थानों पर भी श्रद्धालुओं के लिए उचित इंतजाम करवाने होंगे, जिस बारे में बैठक में चर्चा की जाएगी।

महाकाल पर चिंता

महाकालेश्वर मंदिर में जो दर्शन की व्यवस्था चलाई जा रही है उसे लेकर साधु-संतों में नाराजगी देखी जा रही है। उनका कहना है कि सिंहस्थ की बैठक के दौरान महाकालेश्वर मंदिर की दर्शन व्यवस्था खास मुद्दा होने वाला है।

मंदिर में जिस तरह की व्यवस्था की जा रही है उसे देखकर ऐसा लगता है कि महाकालेश्वर सिर्फ पूंजीपतियों के होकर ना रह जाए, ये एक चिंता का विषय है। वह बाबा महाकाल है और अवंतिका के राजा होने के साथ देश और दुनिया भर के आराध्य हैं। वो हमेशा से सबके थे और सबके ही रहेंगे।

शिप्रा की स्थिति

मोक्षदायिनी मां शिप्रा की वर्तमान स्थिति की बात करें तो भी चिंताजनक बनी हुई है। कालियादेह महल और उसके आगे शिप्रा का पानी आचमन तो दूर नहाने योग्य भी नहीं बचा है। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी नदी के पानी को डी ग्रेड का बताया है। नगर निगम द्वारा कोशिश किए जाने पर राम घाट क्षेत्र में कभी-कभी शिप्रा स्वच्छ दिखाई देती है लेकिन उसके आगे पीछे हालत बद से बदतर है। रामघाट से आगे बढ़ते ही चक्रतीर्थ घाट, सुनहरी घाट, ऋण मुक्तेश्वर घाट पहुंचने पर नदी में कचरा, पॉलिथीन और कपड़ों का ढेर देखा जा सकता है। मंगलनाथ, भैरवगढ़ और अंगारेश्वर क्षेत्र में भी नदी में जलकुंभी जमी हुई नजर आ रही है और इसके आगे भी पानी बहुत गंदा है। शिप्रा की इस दयनीय स्थिति का कारण इंदौर की कान्ह नदी और उज्जैन के सभी नालों का गंदा पानी इसमें मिलना है।