उज्जैन।
इस बार मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रत्याशियों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया।प्रत्याशियों द्वारा मतदाताओं को रिझाने वाले संसाधनों का भरपूर उपयोग किया गया। इन सीटों पर भाजपा, कांग्रेस, बसपा और सपा के अलावा कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनावी जीत के लिए हरसंभव जतन किए हैं। इनमें सबसे ज्यादा खर्च उज्जैन की विधानसभाओं में किया गया। हैरानी की बात तो ये है कि यहां एक निर्दलीय प्रत्याशी ने भाजपा प्रत्याशी और प्रदेश के ऊर्जा मंत्री पारस जैन को ही पीछे छोड़ दिया। जिले की सात सीटों पर 66 उम्मीदवारों ने मिलकर चुनाव में प्रचार पर 2 करोड़ 44 लाख 84 हजार 708 रुपए खर्च कर दिए।लेकिन भाजपा या कांग्रेस का उम्मीदवार भी इतना अधिक खर्च नहीं कर सका।
दरअसल,इस विधानसभा चुनाव में आयोग ने हर प्रत्याशी को 28 लाख तक का खर्च करने की छूट दी थी। कुछ इससे ज्यादा खर्च कर गए और कुछ सामान्य तक ही सिमट गए। प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में सबसे ज्यादा खर्च उज्जैन की सात विधानसभाओं में किया गया। यहां कांग्रेस से बगावत कर दक्षिण सीट के निर्दलीय उम्मीदवार जयसिंह दरबार ने 17 लाख 93 हजार 322 रुपए का किया। वही उज्जैन उत्तर से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले भाजपा प्रत्याशी और ऊर्जा मंत्री पारस जैन ने केवल 10.69 लाख रुपए तक ही खर्च कर पाए। मंत्री जैन भी अपने प्रतिद्वंद्वी राजेंद्र भारती के मुकाबले महज 11 हजार 583 रुपए ही ज्यादा खर्च कर पाए। जैन का कुल खर्च 10 लाख 69 हजार 320 रुपए रहा जबकि भारती का खर्च 10 लाख 57 हजार 737 रहा।
वही सबसे ज्यादा खर्चा भी दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवारों ने किया जो 58 लाख 75 हजार 80 रुपए रहा। इस सीट के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में थे। तराना में 10 उम्मीदवार थे, जिन्होंने केवल 22 लाख 78 हजार 553 रुपए खर्च किया।नागदा-खाचरौद विधानसभा सीट पर कांग्रेस के दिलीपसिंह गुर्जर ने 16 लाख 67 हजार 414 रुपए खर्च किए जबकि भाजपा के दिलीपसिंह शेखावत का खर्चा 13 लाख 83 हजार 776 रुपए रहा। वही महिदपुर सीट पर कांग्रेस के सरदारसिंह चौहान ने 9 लाख 98 हजार 35 रुपए खर्च किए जबकि भाजपा के बहादुरसिंह चौहान ने केवल 8 लाख 97 हजार 680 रुपए ही खर्च किए।
कई जगहों पर कांग्रेस भी भाजपा से आगे रही। कांग्रेस प्रत्य़ाशी ने भी निर्दलीयों की तरह जमकर पैसा बहाया। लेकिन भाजपा प्रत्याशी उतना नही खर्च कर पाए, बल्कि पार्टी ने खर्च के लिए फंड भी दिया था। ऐसे में अब सवाल खड़े हो रहे कि वे ज्यादा खर्च क्यों नहीं कर सके।