Mahakal Mahalok: उज्जैन की गौरव गाथा का गुणगान करेंगी महालोक की दीवारें, 2600 साल पुरानी कहानी का होगा चित्रांकन

Diksha Bhanupriy
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Mahakal Mahalok Ujjain: उज्जैन के महाकाल मंदिर का विस्तारीकरण लगातार जारी है और हर रोज नए निर्माण किए जा रहे हैं। महाकाल महालोक की दीवारें तैयार हो रही हैं, जो अब भगवान भोलेनाथ के साथ उज्जैन के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और कला का गुणगान भी करने वाली है। अहिल्याबाई मार्ग से जुड़े हुए नीलकंठ वन पहुंच मार्ग पर 20 फीट ऊंची और 225 मीटर लंबी दीवार बनाई गई है। इस दीवार पर राजाधिराज बाबा महाकाल की सवारी के साथ ही महाकुंभ के शाही स्नान, चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य, राजपूत योद्धा दुर्गादास राठौड़, महारानी अहिल्याबाई, पुरातत्वविद विष्णु श्रीधर वाकणकर समेत 36 से दुर्लभ चित्र अंकित किए जाने वाले हैं।

सजेगी महाकाल महालोक की दीवारें

इन लंबी चौड़ी दीवारों को सजाने का काम जल्द ही कारीगरों द्वारा शुरू कर दिया जाएगा। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों का दावा है कि 30 सितंबर से पहले नीलकंठ पहुंच मार्ग की दीवारों का शिल्पांगन काम पूरा कर लिया जाएगा, जिसकी लागत 7 करोड़ रुपए आने वाली है।

शिव महापुराण के चित्र हैं अंकित

पिछले साल रूद्र सागर के किनारे स्मार्ट सिटी द्वारा 500 मीटर लंबी और 25 फीट ऊंची दीवार तैयार की गई थी। जिस पर शिव महापुराण में उल्लेखित घटनाओं के चित्र उकेरे गए हैं। इन शैल चित्रों के माध्यम से मंदिर की स्थापत्य कला, आध्यात्मिक भाव और संस्कृति के दर्शन किए जा सकते हैं। अब नीलकंठ वन पहुंच मार्ग पर भी ऐसी ही दीवार बनाई जा रही है। जिसके लाल पत्थरों पर उज्जैन की महिमा का बखान किया जाएगा।

 

उज्जैन की महिमा का बखान

दीवारों पर उज्जैन के इतिहास और संस्कृति से संबंधित चित्र वगैरह जाने की सबसे बड़ी वजह यह है कि देश-विदेश के पर्यटक जब यहां पहुंचे, तो भगवान शिव की महिमा जानने के साथ ही उन्हें उज्जैन नगरी की गौरव गाथा से भी रूबरू करवाया जा सके। यहां का संस्कृति, इतिहास और कला जानने के साथ उन्हें यहां रहे महान विभूतियों से भी परिचित होने का मौका मिले जिन्होंने अवंतिका नगरी के मान सम्मान को बढ़ाने में अभूतपूर्व योगदान दिया है।

2600 वर्ष पुरानी उदयन वासुदत्ता का होगा उल्लेख

महाकाल महालोक की दीवार पर 2600 साल पुरानी उदयन वासुदत्ता की प्रेम कहानी पर आधारित चित्र भी उकेरे जाने वाले हैं। इन चित्रों में पाटलिपुत्र के राजा उदयन हाथी पर बैठकर उज्जैन के राजा चंडप्रद्योत की बेटी वासुदत्ता का हरण कर ले जाते दिखाई देने वाले हैं। इसके बाद उनका पीछा करते सैनिक राजा द्वारा फेंकी गई मुद्राएं उठाते नजर आएंगे। इसके अलावा महाकवि कालिदास की आराध्य देवी मां गढ़कालिका और शक्तिपीठ हरसिद्धि के चित्र भी दीवारों पर बनाए जाएंगे।

इन विभूतियों का चित्रण

अहिल्याबाई ने उज्जैन में कई सारे धार्मिक स्थलों का निर्माण करवाया है, जिसमे राम जनार्दन मंदिर प्रमुख है। उनका चित्र भी बनाया जाने वाला है जिसमें उन्हें शिवलिंग हाथों में लिए हुए बताया जाने वाला है। 1772 में राजा जयसिंह द्वारा बनवाए गए जंतर मंतर का चित्रण भी किया जाएगा और पद्मश्री विष्णु श्रीधर वाकणकर के चित्र भी उकेरे जाएंगे क्योंकि उन्होंने देशांतर और अक्षांश की सटीक कालगणना उज्जैन में की है।

प्राचीन राज चिन्हों की प्रतिकृति

इन दीवारों पर उज्जैन के प्राचीन राज चिह्न भी शिल्पांकित किए जाने वाले हैं। लगभग 500 साल पहले चार गोल घेरे और बीच में क्रॉस इस तरह की डिजाइन का सिक्का उज्जैन का राज चिन्ह हुआ करता था। जिसे नई दीवार पर शिल्पांकित किया जाएगा।


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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