बच्चों के आत्मविश्वास को चूर-चूर कर देती हैं पेरेंट्स की ये गलतियां, कहीं आप भी तो नहीं करते ऐसा

बच्चे अपने माता-पिता की जिंदगी होते हैं, माता-पिता अपने बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए हरदम प्रयास करते हैं, लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं जाने अनजाने में वह कुछ गलतियां ऐसी कर बैठते हैं, जिस वजन से बच्चे अपना आत्मविश्वास खो देते हैं, यह गलतियां इतनी मामूली होती है, की पेरेंट्स का कभी इनपर ध्यान ही नहीं जाता है।

Bhawna Choubey
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Parenting Mistakes: हर बच्चा अपने माता-पिता की जान होता है, माता-पिता बच्चों की परवरिश के लिए कई कई बार अपना खुद का जीवन कुर्बान कर देते हैं, बच्चों के जन्म के बाद से ही वह सिर्फ और सिर्फ बच्चों के लिए ही जीना शुरु कर देते हैं।

बच्चों को अच्छी परवरिश देना, बच्चों को अच्छी पढ़ाई देना, बच्चों को अच्छे संस्कार देना, बच्चों को सारी सुख सुविधा देना ही माता-पिता का पहला कर्तव्य बन जाता है। लेकिन बच्चों की अच्छी परवरिश का असली मतलब सिर्फ उनकी शारीरिक जरूरत को पूरा करना ही नहीं है बल्कि उनके मानसिक और नैतिक विकास में भी मदद करना है।

बच्चों की परवरिश (Parenting Mistakes)

कई बार माता-पिता अपने बच्चों को सारी सुख-सुविधा तो दे देते हैं, लेकिन अपने बच्चों के साथ इमोशनली कनेक्ट नहीं हो पाते हैं। बच्चों के जीवन में एक समय ऐसा भी आता है, जब उन्हें समानों और सुख-सुविधाओं से ज्यादा इमोशंस की जरूरत होती है।

ऐसे में सही परवरिश का मतलब यह भी होता है कि बच्चों के इमोशंस को समझना, उनकी कमजोरी को समझना, उन्हें गलतियों से सीखने का मौका देना, जाने अनजाने में माता-पिता की कुछ छोटी-छोटी गलतियां ऐसी होती है, जिनकी वजह से बच्चा अपना आत्मविश्वास खो देता है, और यह गलतियां कुछ इस तरह होती है, जिन पर माता-पिता का कभी ध्यान नहीं जाता है, आज हम उन्हीं गलतियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

बच्चों की बार-बार गलतियां निकालना

बच्चों को बार-बार टोकना या हर काम में उनकी गलतियां निकालना उनके आत्मविश्वास को कम कर सकता है। जब माता-पिता बच्चों को बार-बार टोकते हैं, तो बच्चों को लगता है कि शायद वह किसी काम के लायक ही नहीं है।

उन्हें अपने मन में अपने आप के लिए शक पैदा हो जाता है, ऐसे में फिर वे किसी भी काम को करने में रुचि नहीं रखते हैं, और नए काम को सिखने में भी उन्हें मजा नहीं आता है।

दूसरों से तुलना करना

यह आदत लगभग हर माता-पिता में होती है या तो वह अपने एक बच्चे की तुलना अपने दूसरे बच्चे से करते हैं, या फिर अपने बच्चों की तुलना, बाहर के दूसरों बच्चों के साथ करते हैं। ऐसा करने से बच्चों को लगता है कि वह अच्छे नहीं है, और यही कारण है कि उनकी प्रगति में रुकावट आती है।

इसलिए माता-पिता को समझना चाहिए कि दुनिया का हर बच्चा अलग होता है और हर बच्चे में कुछ ना कुछ खूबियां रहती है, तो हमें अपने बच्चों के प्रयासों की सराहना करनी चाहिए ना कि उनकी तुलना।

बच्चों की भावनाओं को न समझना

अक्सर माता-पिता अपने बच्चों को छोटा समझकर उनकी भावनाओं पर ध्यान नहीं देते हैं। उनकी भावनाओं को नजरअंदाज करते हैं, इस वजह से बच्चों के मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। बच्चों की हर तरह की भावनाओं को समझना और स्वीकार करना जरूरी है, यह उनके आत्म सम्मान और आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है।


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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