कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए 17 चीतल, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से 500 चीतल भेजे जाने का लक्ष्य

चीता परियोजना के तहत कूनो राष्ट्रीय उद्यान में खाद्य श्रृंखला का संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से तथा चीता को जंगल में आवश्यक भोज्य पदार्थ उपलब्ध कराने की दिशा में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति के बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 500 चीतल कूनो शिफ्ट किये जायेंगे।

Amit Sengar
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Umaria News : मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से 17 चीतल सुरक्षित कूनो नेशनल पार्क में शिफ्ट किए गए है। क्योंकि कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट के तहत चीतलों की संख्या का अनुपात बनाए रखने के लिए बांधवगढ़ से शिफ्ट किया गया। यह लक्ष्य 500 चीतल भेजे जाने का है।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बाघ विहीन जंगलों में बाघों को भेजे जाने के अलावा यहां से चीतल भी अन्य जंगलों में भेजे रहे है क्योंकि जंगलों में जैव विविधता का संतुलन बनाए रखने के लिए भेजा जा रहा हैं, वर्तमान में 17 चीतल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से सुरक्षित कूनो नेशनल पार्क भेजा गया हैं, चीता परियोजना के तहत कूनो राष्ट्रीय उद्यान में खाद्य श्रृंखला का संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से तथा चीता को जंगल में आवश्यक भोज्य पदार्थ उपलब्ध कराने की दिशा में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति के बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 500 चीतल कूनो शिफ्ट किये जायेंगे। जिसकी पहली खेप के रूप में 17 चीतल सुरक्षित रवाना किए जा चुके हैं।

कूनो नेशनल पार्क में 500 चीतल भेजे जाने की मिली अनुमति

दरअसल जंगल में जैव विविधता (जैव विविधता का तात्पर्य एक ही पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर रहने वाले प्रत्येक जीव से है) एवं खाद्य श्रृंखला में शामिल घटकों में से अगर एक भी अनुपात कम हो जाए तो जंगल का अपेक्षित संतुलन बिगड़ जाता है। कूनो नेशनल पार्क में सघन वन, झाड़, जलस्रोत मांसाहारी जीव तो मौजूद हैं, लेकिन शाकाहारी जीवों का अनुपात अन्य घटकों की अपेक्षा कम है। इसलिए बांधवगढ़ से प्रारंभिक तौर पर 17 चीतल कूनो राष्ट्रीय उद्यान भेजे गए हैं अगले चरणों में कुल 500 चीतल भेजे जाने की अनुमति प्रदान की गई है।
उमरिया से ब्रजेश श्रीवास्तव की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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