उमरिया में भारत बंद बेअसर, सुबह से बाजार में खुली रही दुकानें

राज्य सरकारे अनुसूचित जाति और जनजाति श्रेणियां के लिए सब कैटिगरी बना सकती हैं ताकि सबसे जरूरतमंदों को आरक्षण मे प्राथमिकता मिल सके जिसका कई राजनैतिक पार्टियों सहित सामाजिक संगठन विरोध कर रहे है।

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umaria News : मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में भारत बंद का असर नहीं दिखा है। जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले में प्रतिष्ठान प्रतिदिन की भांति खुले ओबीसी महासभा ने देश की सर्वोच्च अदालत के द्वारा आरक्षण पर दिए गए फैसले के विरोध में बुलाया है भारत बंद का आह्वान विफल होने के बाद रैली निकाल कर देश की राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन कलेक्टर को सौपा गया।

भारत की सर्वोच्च अदालत के द्वारा आरक्षण पर दिए गए फैसले के विरोध मे उमरिया जिले में भीम आर्मी, ओबीसी महासभा एवं बहुजनसमाज पार्टी के द्वारा भारत बंद का आवहन बेअसर साबित हुआ है और उमरिया जिला मुख्यालय के सभी प्रतिष्ठान सुबह से ही खुले रहे भारत बंद का आह्वान असफल होने के बाद भीम आर्मी, ओबीसी महासभा एवं बहुजनसमाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए शहर के प्रमुख मार्गो से रैली निकाली है और देश के राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन कलेक्टर को सौपा है। जिसे देखते हुए उमरिया कलेक्टरेट परिसर छावनी मे तब्दील हो गया था।

प्रदर्शनकारियों को नहीं पता क्यों कर रहे हैं विरोध प्रदर्शन

इस विरोध रैली की खास बात यह रही की रैली की अगुवाई कर रहे नेताओं को यह पता नहीं था कि वो किस बात का विरोध कर रहे क्रिमी लेयर है क्या न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के बाद किसे फायदा और किसे नुकसान है। इससे साफ जाहिर होता है कि कुछ सफ़ेद पोश लोग अपनी नेता गिरी को चमकाने के लिए भोली भाली जनता को भीड़ का हिस्सा बनाते है। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने 6-1 के बहुमत से फैसला दिया है कि राज्यों को आरक्षण के लिए कोटा के भीतर कोट बनाने का अधिकार है यानी राज्य सरकारे अनुसूचित जाति और जनजाति श्रेणियां के लिए सब कैटिगरी बना सकती हैं ताकि सबसे जरूरतमंदों को आरक्षण मे प्राथमिकता मिल सके जिसका कई राजनैतिक पार्टियों सहित सामाजिक संगठन विरोध कर रहे है।
उमरिया से ब्रजेश श्रीवास्तव की रिपोर्ट


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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