कोदो की रोटी खाने से दादी और मासूम बीमार, बांधवगढ़ में 11 जंगली हाथियों की मौत का कारण भी यही फसल थी

कुछ समय पहले ही बांधवगढ़ में 11 जंगली हाथियों की मौत की वजह भी यही कोदो बनी थी, हाथियों की मौत की शुरुआती जांच में सामने आया था उनके पेट में जहर है जो कोदो फसल पर उगने वाले कवक के कारण बना।

Atul Saxena
Published on -

Umaria News: कोदो की फसल एक बार फिर चर्चा में आई है, बताया जा रहा है कि कोदो से बनी रोटी खाने से दादी और उनका एक साल का पोता बीमार हो गए, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है, महिला की गंभीर हालत को देखते हुए उसे शहडोल मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया गया है जबकि दो दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद मासूम को तो अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।

जानकारी के मुताबिक बांधवगढ़ के ताला जमुनारा में रहने वाले एक परिवार ने कोदो की रोटी बनाकर खाई थी , रोटी खाने के कुछ देर बाद दादी और उसका एक साल का पोता पेट दर्द से परेशान होने लगे, उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया जहाँ डॉक्टर्स ने उनका इलाज शुरू किया।

जिला अस्पताल में कराया गया भर्ती 

सिविल सर्जन केसी सोनी के मुताबिक 22 दिसंबर को जिला अस्पताल में एक महिला और उसके साथ एक साल का बच्चा भर्ती हुए थे उन्हें  पेट दर्द, उलटी की शिकायत थी, दोनों का इलाज शुरू किया गया बच्चे को पीआईसीयू  में और महिला को फीमेल वार्ड में भर्ती किया गया।

हाथियों की मौत का कारण कोदो बनी थी  

उन्होंने बताया महिला की हालत गंभीर होने के कारण 23 दिसंबर को उसे शहडोल मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया और आज बच्चे की डिस्चार्ज कर दिया गया, महिला का अभी शहडोल अस्पताल में इलाज चल रहा है। आपको बता दें कि कुछ समय पहले ही बांधवगढ़ में 11 जंगली हाथियों की मौत की वजह भी यही कोदो फसल बनी थी, हाथियों की मौत की शुरुआती जांच में सामने आया था उनके पेट में जहर है जो कोदो फसल पर उगने वाले कवक के कारण बना, फ़िलहाल डॉक्टर्स महिला की हालत पर नजर बनाये हुए हैं। 

उमरिया से ब्रजेश श्रीवास्तव की रिपोर्ट 


About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

Other Latest News