Tiger ने लौटाया कलेक्टर साहब के बेटे का HAT, वाइल्ड लाइफ एक्ट के उल्लंघन का आरोप, सरकार से एक्शन की मांग

अजय दुबे के आगे कहा कलेक्टर और उनके बेटे की वहां हैट गिरी और उसे टाइगर ने उठाया और फिर उन्होंने वहां से उठाई, ये वीडियो उनके बेटे से सोशल मीडिया पर पोस्ट की है। दुबे ने कहा कि जंगल में टाइगर रिजर्व में वाइल्ड लाइफ एक्ट सर्वोपरि होता है।

Tiger returns Collector's son's HAT

Tiger returned the collector’s son’s hat : उमरिया जिले के कलेक्टर धरणेन्‍द्र कुमार जैन और उनके बेटे पर वाइल्ड लाइफ एक्ट के उल्लंघन का आरोप लगा है सरकार से उनके खिलाफ सख्त एक्शन लेने, निलंबित करने और पुलिस में एफआईआर करने की मांग की जा रही है।

ये मामला बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का है, यहाँ हुए एक घटनाक्रम को कलेक्टर जैन के बेटे सलिल जैन ने खुद सोशल मीडिया पर सार्वजनिक किया जिसके बाद RTI एक्टिविस्ट अजय दुबे ने सरकार से एक्शन लेने की मांग की है। दरअसल सलिल जैन ने इन्स्टाग्राम पर जो वीडियो अपलोड किया है उसमें एक टाइगर एक हैट लेकर आता दिखाई दे रहा है।

उमरिया कलेक्टर और उनके बेटे पर वाइल्ड लाइफ एक्ट के उल्लंघन का आरोप 

आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कलेक्टर के बेटे की पोस्ट पर रिएक्शन देते हुए इसे वाइल्ड लाइफ एक्ट का उल्लंघन बताया, उन्होंने कहा उमरिया कलेक्टर धरणेन्‍द्र कुमार जैन और उनके बेटे के खिलाफ गंभीर सूचना मिली है कि उन्होंने और उनके बेटे ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पर्यटन करते समय वाइल्ड लाइफ एक्ट का उल्लंघन किया है।

टाइगर ने उठाकर दिया कलेक्टर के बेटे का हैट, मुकदमा दर्ज करने की मांग 

अजय दुबे के आगे कहा कलेक्टर और उनके बेटे की वहां हैट गिरी और उसे टाइगर ने उठाया और फिर उन्होंने वहां से उठाई, ये वीडियो उनके बेटे से सोशल मीडिया पर पोस्ट की है। दुबे ने कहा कि जंगल में टाइगर रिजर्व में वाइल्ड लाइफ एक्ट सर्वोपरि होता है, ये वन विभाग के नियंत्रण में होता है यहाँ कोई भी कलेक्टर, कमिश्नर या मंत्री, नेता कानून नहीं तोड़ सकता है। यदि कलेक्टर को ये ग़लतफ़हमी है कि वो कानून से ऊपर है तो गलत है, सरकार को इसकी जाँच करानी चाहिए और कलेक्टर को निलंबित करना चाहिए, उन पर और उनके बेटे पर वाइल्ड लाइफ एक्ट के उल्लंघन को लेकर पुलिस में मुकदमा करना चाहिए।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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