MP TravelMP TravelMP TravelMP TravelMP TravelMP Travel: 17 अप्रैल को देशभर में रामनवमी का त्यौहार मनाया जाने वाला है। यह ऐसा मौका है जब हर कोई भगवान राम का पूजन अर्चन करने के साथ उनके मंदिरों में दर्शन करने के लिए जाता है। अब तो अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो चुका है और हर कोई रामनवमी पर यहां रामलला के दर्शन करने जाना चाहता है।
इस दिन यहां लाखों की संख्या में लोगों के भीड़ इकट्ठी होने वाली है। वैसे देशभर में कई सारे राम मंदिर हैं, जहां पर समय-समय पर भक्तों की आस्था देखने को मिलती है। अगर आप भी रामनवमी के मौके पर कहीं जाने का या फिर किसी मंदिर में दर्शन करने का प्लान बना रहे हैं तो आज हम आपको मध्य प्रदेश के एक शानदार मंदिर की जानकारी देते हैं। मध्य प्रदेश का यह मंदिर बहुत ही शानदार और खास है चलिए आज इसके बारे में सब कुछ जानते हैं।
कहां है मंदिर
हम मध्य प्रदेश के जिस मंदिर की बात कर रहे हैं, वह बुंदेलखंड इलाके में है। निवाड़ी जिले में स्थित इस मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रामनवमी के मौके पर इकट्ठा होती है। ओरछा का यह मंदिर रामराजा मंदिर के नाम से पहचाना जाता है जो सुबह 8:00 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और शाम 8:00 बजे से रात 10:30 बजे तक खुला रहता है। रेलवे स्टेशन से यहां की दूरी सिर्फ 15 मिनट की है और आसानी से किसी भी साधन से यहां पहुंचा जा सकता है।
दी जाती है सलामी
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां पर राम जी को भगवान ही नहीं बल्कि राजा के रूप में पूजा जाता है। बताया जाता है कि भगवान राम दिन में यहां निवास करते थे और रात्रि में शयन के लिए अयोध्या जाते थे। इस मंदिर में वह नजारा बेहद ही खूबसूरत होता है जब आरती के दौरान भगवान राम को बंदूकों से सलामी दी जाती है।
रसोई में विराजे हैं प्रभु
इस मंदिर की एक और खास बात यह है कि यहां पर भगवान राम रसोई में विराजमान हैं। इसके पीछे पौराणिक कथा भी है जिसके मुताबिक 1631 में ओरछा के शासक मधुकर शाह की पत्नी रानी कुंवरी की वजह से इस मंदिर का निर्माण किया गया था। कहानी के मुताबिक रानी अयोध्या जाने के साथ कर रही थी क्योंकि उन्हें भगवान श्री राम के दर्शन करने थे लेकिन राजा कृष्ण भक्त थे और वृंदावन जाना चाहते थे। एक दिन दोनों के बीच बहस हो गई जिस पर राजा ने कहा कि अगर अयोध्या में श्रीराम है तो उन्हें यहां ओरछा में लाकर दिखाओ। इसके बाद रानी ने श्रीराम को ओरछा बुलाने के लिए 21 दिन तक तपस्या की लेकिन जब प्रभु नहीं आए तो उन्होंने नदी में छलांग लगा दी। तभी नदी में भगवान श्रीराम बाल स्वरूप में उनकी गोदी में आ गए।
प्रभु को अपने सामने देखकर रानी ने उनसे ओरछा चलने को कहा लेकिन श्री राम ने उनके सामने तीन शर्त रख दी। शर्त यह थी कि वह एक बार जहां बैठ जाएंगे, वहां से नहीं उठेंगे। जब राजा तक यह बात पहुंची तो उन्होंने श्रीराम के लिए एक शानदार मंदिर का निर्माण करवाया। इधर प्रभु श्रीराम अपने बाल स्वरूप में रानी की गोदी में थे। तभी रानी रसोई में गई और उन्होंने प्रभु को वहीं बैठा दिया। इसके बाद शर्त के मुताबिक प्रभु राम यहीं पर विराजमान हो गए।