क्या है इंदौर में लाशों के ढेर की सच्चाई, दर्दनाक मंजर के साथ ही कांग्रेस ने उठाये सवाल

Atul Saxena
Published on -

इंदौर, स्पेशल डेस्क रिपोर्ट।  मध्यप्रदेश (MP) की आर्थिक राजधानी इंदौर (Indore) में कोरोना (Corona) के कारण हाहाकार मचा हुआ है और इस बीच एक बड़ी सामने आई है जो सरकारी सुविधाओं और प्रशासन की जिम्मेदारी पर एक बड़ा सवाल है। जहां इंदौर में आज कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला के नेतृत्व में केवल रेमडेसीवर इंजेक्शन (Remdesiver Injection) को लेकर विरोध जताया गया बल्कि उनके द्वारा जताई गई आशंका भी अब सच जैसी लग रही है।

ये भी पढ़ें – कोरोना ने बढ़ाई टेंशन, रतलाम में 9 से 19 अप्रैल तक टोटल लॉकडाउन की घोषणा

आज गुरुवार को इंदौर के दवा बाजार में रेमडेसीवर इंजेक्शन (Remdesiver Injection) को लेकर कांग्रेस (Congress) ने सड़क पर सत्याग्रह किया और विधायक संजय शुक्ला (MLA Sanjay Shukla) ने आशंका जताई कि अगले 2 – 4 दिन में इंदौर में लाशों के ढेर लगने वाले हैं। लेकिन कांग्रेस विधायक को इस बात का इल्म ही नहीं था कि जिस जगह वो खड़े है वहां से 500 मीटर की दूरी पार करने के बाद लाशों के ढेर लगना शुरू हो गए जिसका होश स्वयं ना मध्यप्रदेश के सबसे बड़े एम.वाय. अस्पताल (MYH) प्रबंधन को था और ना ही प्रदेश के उच्च स्तरीय मेडिकल कालेज एमजीएम प्रबंधन को।

क्या है इंदौर में लाशों के ढेर की सच्चाई, दर्दनाक मंजर के साथ ही कांग्रेस ने उठाये सवाल क्या है इंदौर में लाशों के ढेर की सच्चाई, दर्दनाक मंजर के साथ ही कांग्रेस ने उठाये सवाल

दरअसल, इंदौर के एम.वाय. अस्पताल के प्रांगण में गुरुवार को एक दर्दनाक मंजर देखने को मिला। यहां सिर्फ एंबुलेंस में कोविड-19 के मरीज भरे ही नही मिले बल्कि लावारिस अवस्था में पड़े शव भी मिले जो न जाने कितने घंटों से रखे हुए थे। जिसकी सुध लेने वाला कोई भी जिम्मेदार नहीं था यहां तक कि इस मामले जिम्मेदार अधिकारियो से लेकर सरकारी जनप्रतिनिधि नामक नुमाइंदो तक ने अपना पल्ला झाड़ लिया।

ये भी पढ़ें – कोरोना को लेकर सख्त सरकार, नगरीय क्षेत्रों में 30 अप्रैल तक रात्रि कालीन लॉकडाउन

इंदौर में कोविड-19 के मरीजो की स्थिति लगातार बिगड़ रही है और प्रतिदिन आने वाले संक्रमित मरीजों की संख्या 900 के करीब तक पहुंच गई है वहीं शासन-प्रशासन लगातार आम जनता के साथ छलावा कर रहा है। एक तरफ शहर में जहां शवों का मंजर देखने को मिल रहे हैं वहीं दूसरी ओर कोई भी जिम्मेदार अधिकारी वास्तविक जानकारी देने को तैयार नहीं है कि अब तक कितने मरीजों की मौत हो चुकी है। केवल जागरूकता के नाम पर नामजद बैठके और चर्चाएं की जा रही है। इसके अलावा जिम्मेदारों के पास कोई भी जवाब मौजूद नहीं है।

जब एम. वाय. अस्पताल में पड़े शवों की जानकारी मंत्री तुलसी सिलावट (Minister Tulsi Silawat) , सांसद शंकर लालवानी (MP Shankar Lalwani) और एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित (Dean MGM Medical College dr Sanjay Dixit) से लेकर अन्य जिम्मेदारों से सीधे तौर पर ली गई उन्होंने जानकारी नहीं होने का हवाला देकर गेंद दूसरे पाले में फेंक दी। जो ये बताने के लिए काफी है कि हालात किस कदर बिगड़ चुके है ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि एम.वाय. बाहर एम्बुलेंस में पड़े शव किनके है और जिम्मेदार क्यों नही सामने आ रहे है जबकि कोरोना वारियर्स के तौर पर जिम्मेदार ही अवार्ड लेते नजर आए थे लेकिन अब ये अवार्डी खुद को क्वारन्टीन कर अपनी जान बचाने में लगे हुए है। फिलहल, इंदौर के एम.वाय. प्रांगण में मिले शवो को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी सामने नही आई है।


About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

Other Latest News