Political Career – उपचुनाव से शुरू,उपचुनाव ही लगाएगा विराम !

Virendra Sharma
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Bhopal Desk –  वास्तविक Political Career की यह कहानी बड़ी दिलचस्प है। मध्य प्रदेश के एक बड़े राजनेता के Political Career की शुरुआत उपचुनाव से हुई। लगभग 35 साल तक राजनीति (Politics) की उन बुलंदियों को छुआ जिनको छूने का सपना लाखों करोङो लोग देखते हैं और अब एक उपचुनाव उस राजनेता के Political Career पर विराम लगाता दिख रहा है।

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हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) बीजेपी (BJP) के कद्दावर नेता जयंत मलैया Jayant Malaiya) की। सहज, सरल, विनम्र व आकर्षक व्यक्तित्व के धनी जयंत मलैया से जो कोई मिलता है उन्हें भूल नहीं सकता। मामला चाहे किसी परिचित का हो या फिर उनके दरबार पर पहुंचे किसी भी मदद मांगने पहुंचे अनजान व्यक्ति का,मलैया हमेशा तत्पर रहते है। 1990 में पहली बार आवास और पर्यावरण विभाग के स्वतंत्र प्रभार के मंत्री बने जयंत मलैया सात बार विधायक रहे। उमा भारती, बाबूलाल गौर सहित शिवराज सरकार में उन्होंने कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली और हर विभाग में ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्य के निर्वहन के लिए प्रसिद्ध भी रहे।

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मलैया की Political Careerकी शुरुआत भी दिलचस्प है।वे कांग्रेस में थे कि 1984 में दमोह के विधायक पीएन टंडन का निधन हो गया। बीजेपी ने उन्हें ऑफर किया कि वे पार्टी प्रत्याशी के रूप में दमोह से चुनाव लड़े। बस फिर क्या था, मलैया के Political Career की शुरुआत हो गई। 1984 का उपचुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने और फिर सात बार विधायक बने ।2018 में जब एक अनजान से युवा राहुल लोधी ने ठीक उसी उम्र में, जिस उम्र में मलैया पहली बार विधायक बने थे, कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा और मलैया को शिकस्त दी।

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कमलनाथ सरकार सिर्फ 15 महीने चल पाई और सिंधिया समर्थक विधायकों के विरोध के चलते इस सरकार का पतन हो गया। शिवराज एक बार फिर मुख्यमंत्री बने और कुछ अन्य विधायकों ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया। राहुल लोधी उन्हीं में से एक थे। जाहिर सी बात है कि कांग्रेस से बीजेपी में आने के चलते राहुल की विधायकी जाती रही और एक बार फिर दमोह में उपचुनाव की स्थिति बन गई। अब 17 अप्रैल को दमोह में चुनाव है और वर्षों के बाद मलैया परिवार इस चुनाव में नहीं दिखेगा।

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तो क्या उपचुनाव से शुरू हुआ जयंत मलैया का Political Career उपचुनाव से ही खत्म होगा? शायद नहीं। दरअसल दमोह और आसपास के इलाके में जयंत मलैया और उनके परिवार का अच्छा खासा प्रभाव है। सामाजिक कार्यक्रमों से जुड़ी रही उनकी पत्नी डा.सुधा मलैया भी राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी खासी पहचान रखती हैं और बेटे सिद्धार्थ ने भी अपनी राजनीतिक पैठ बनानी शुरू कर दी है। मलैया जैसे व्यक्तित्व आज के युग में पार्टी के लिए बेहद दुर्लभ है ,यह बीजेपी भली-भांति जानती है ।आने वाले समय में उनका बेहतर उपयोग पार्टी निश्चित रूप से करेगी, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

जीवन परिचय
जयन्त कुमार मलैया का जन्म 20 फरवरी 1947 को सागर में हुआ। श्री विजय कुमार मलैया के पुत्र जयंत मलैया ने वाणिज्य स्नातक और एल.एल.बी. की शिक्षा प्राप्त की है। व्यवसाय से उद्यमी मलैया की अभिरूचि पर्यटन और अध्ययन है।
वे भारतीय जनता पार्टी जिला दमोह के दो बार अध्यक्ष, प्रदेश भारतीय जनता पार्टी कार्य समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य भी रहे। मलैया ने अमेरिका, कनाडा,स्विटजरलैण्ड, आस्ट्रिया, इंग्लैण्ड, फ्रांस, नेपाल, जर्मनी, हालैण्ड और इटली की यात्राएं की हैं।

 


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