सीएम शिवराज का कमलनाथ को पत्र, कहा- अपनी अपमानजनक टिप्पणी के लिए मांग लीजिए मांफी

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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव को लेकर लगातार बीजेपी और कांग्रेस की सभाओं का दौर जारी है। इसी कड़ी में एक सभा में कमलनाथ द्वारा मध्यप्रदेश की महिला बाल विकास मंत्री और डबरा बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी को आइटम शब्द से संबोधित कर दिया गया, जिसके बाद से सियासत गर्मा गई है। कमलनाथ के खिलाफ प्रदेश भर में भाजपा द्वारा विरोध दर्ज किया जा रहा है और उनका पुतला दहन किया जा रहा है। वहीं बीते दिन सीएम शिवराज सिंह चौहान के आव्हन पर प्रदेश भर में भाजपा द्वारा मौन व्रत भी किया गया।

बीते दिन सीएम शिवराज ने कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी को पत्र लिख कर पूर्व सीएम कमलनाथ को अपनी पार्टी के सभी पदों से हटाने को लेकर कहा था। जिसके बाद पूर्व सीएम कमलनाथ ने प्रदेश के सीएम शिवराज को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने सीएम को झूठा बोलते हुए कहा कि शिवराज हर दिन झूठ बोलते है। वो इतना झूठ बोलते है कि झूठ भी शर्मा जाए। वो चुनावी सभाओं में झूठे ऐलान करते है और झूठे नारियल फोड़ते है। कमलनाथ ने पत्र में आगे लिखा कि ‘जिस शब्द के बारे में आप कहना चाहते हैं उसके कई मायने हैं और कई तरह की व्याख्याएं हैं, लेकिन सोच में खोट के मुताबिक आप और आपकी पार्टी अपनी मर्जी की व्याख्या कर झूठ परोसने का काम कर रही है और हर तरह से अपनी कुर्सी बचाने में लगे हैं.’


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।