भोपाल, डेस्क रिपोर्ट| मध्य प्रदेश (Madhyapradesh) की 28 सीटों पर उपचुनाव (Byelection) में बम्पर वोटिंग (Bumper Voting) के बाद दोनों ही दल नतीजों को लेकर अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं| बम्पर वोटिंग का मतलब अक्सर एकतरफा परिणाम माना जाता है| लेकिन मध्य प्रदेश में स्थिति अलग है, इसको लेकर दोनों ही दलों में असमंजस की स्थिति है| दोनों ही पार्टियां (BJP And Congress) भले ही सभी सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन बम्पर वोटिंग के कारण परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं|
दरअसल, 28 सीटों पर उपचुनाव में 70 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है| जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में इन क्षेत्रों में 72.93 फीसद लोगों ने वोट डाले थे। बम्पर वोटिंग को लेकर अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं| जानकारों का मानना है कि जब उम्मीद से ज्यादा मतदान होता है तो यह माना जाता है कि जनता ने एकतरफा फैसला किया है| इसको सत्ता परिवर्तन भी माना जाता है| लेकिन मध्य प्रदेश में स्थिति थोड़ी अलग भी है| यहां सरकार बनाने से ज्यादा स्थायित्व का सवाल भी है| जनता ने दो साल के भीतर तीन चुनाव देख लिए हैं| ऐसे में स्थायित्व के लिए जनता का सन्देश हो सकता है| इसका फायदा बीजेपी या कांग्रेस दोनों में से किसी एक को मिल सकता है|
प्रदेश में 2018 में सत्ता परिवर्तन हुआ, लेकिन 15 माह में ही कमलनाथ सरकार गिर गई| जिसके बाद अब उपचुनाव हुए हैं| दो साल में दो बार सत्ता परिवर्तन हो चुका है| अब यदि कांग्रेस को बहुमत मिलता है तो यह माना जाएगा कि जनता ने दलबदल को नकार दिया है| लेकिन भाजपा को अधिक सीटें मिलती हैं तो बीजेपी सरकार बरकरार रखने में कामयाब होगी| जिससे यह संदेश साफ़ हो जाएगा कि जनता ने दल बदल को सही मानते हुए शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल को पसंद किया| इस चुनाव में भले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर हो| लेकिन शिवराज ही पूरे चुनाव प्रचार में मुख्य चेहरा रहे हैं|