भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सरकार (Government) बचाने और सरकार बनाने के लिए प्रदेश की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव (By-election) में निष्ठाओं की अग्निपरीक्षा होना है। तो डैमेज कंट्रोल (Damage Control) पर आकर पूरा चुनाव टिक गया है। कारण साफ है कि भाजपा (BJP) हो या कांग्रेस (Congress) दोनों दल ने अधिकांश टिकट उन नेताओं को दिए हैं जो दूसरे दलों से आए हैं। ऐसे में पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता कितना इन प्रत्याशियों के साथ होगा इस पर जीत हार तय होगी।
डैमेज कंट्रोल की चल रही मुहिम
जहां तक सवाल भाजपा का है तो वह चुनावी इतिहास में पहली बार 28 में से 25 उन प्रत्याशियों पर दांव खेल रही है जो 7 महीने के भीतर हाथ का साथ छोड़ कर भगवा झंडे के नीचे आए हैं। वहीं कांग्रेस ने जीत की आस में करीब एक दर्जन सीटों पर ऐसे प्रत्याशी उतार दिए हैं जो या तो भाजपा के बागी है या फिर बसपा समेत अन्य दलों से भी चुनावी मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं। ऐसे में कैडर बेस और जड़ों से जुड़े निष्ठावान कार्यकर्ताओं को इन प्रत्याशियों के पक्ष में सक्रिय करना दोनों दलों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। विरोध के स्वर भी उठ रहे हैं पर यह सड़कों तक ना हो इसके लिए डैमेज कंट्रोल की मुहिम चलाई जा रही है।
विरोधियों के समर्थन में मांगने पड़ रहे वोट
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में चुनावी तस्वीर अब पूरी तरह साफ हो चुकी है, भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं। दोनों ही दलों में टिकट वितरण को लेकर नाराजगी है। कहना न होगा कि भाजपा का मूल कार्यकर्ता दूसरे दलों से आए प्रत्याशियों को एकदम से पचा नहीं पा रहा है। लंबे समय तक इन्हीं नेताओं से वैचारिक रूप से मैदान में लोहा लेने वाले इन कार्यकर्ताओं को अब उनके समर्थन में ही वोट मांगने को कहा जा रहा है जिनका वह कल तक विरोध करते थे।
भाजपा ने पहले ही शुरू कर दिया था डैमेज कंट्रोल
भाजपा अपने कार्यकर्ता की नाराजगी को पहले ही भांप चुकी थी, इसलिए उसने डैमेज कंट्रोल पहले ही शुरू कर दिया था। जिसके चलते अंदर खाने में विरोध जरूर हुआ लेकिन विरोध सड़क पर नहीं आता दिखा। जबकि कांग्रेस में प्रत्याशियों की सूची जारी होते ही प्रदर्शन और पुतले फूंकने का दौर शुरू हो गया है। दिलचस्प बात यह है कि पार्टी के कार्यकर्ता ही नहीं प्रत्याशी के स्वजन भी विरोध कर रहे हैं।
बड़े नेताओं ने डाला ग्वालियर में डेरा
कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए विधायकों को बीजेपी में टिकट दे दिए गए हैं, ऐसे में भाजपा में अपने नेताओं को साधने की कवायद काफी पहले शुरू हो चुकी थी। भाजपा ने टिकट वितरण से पहले ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Central Minister Narendra Singh Tomar), प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (BJP State President VD Sharma), पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता (Former Minister Umashankar Gupta) और गौरीशंकर बिसेन (Gaurishnkar Bisen) सहित अन्य दिग्गज नेताओं को रूठे नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। ऐसे में केवल ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट से प्रत्याशी रहे डॉ सतीश सिकरवार (Dr. Satish Sikarwar) की ही नाराजगी पार्टी को झेलनी पड़ी है। सिकरवार ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की है और कांग्रेस ने उनको ग्वालियर पूर्व से प्रत्याशी घोषित किया है। सूत्रों की मानें तो विरोध भले ही सड़कों पर नहीं हो रहा है लेकिन भीतर घात का अंदेशा अभी भी बना हुआ है। इसी वजह से पार्टी के वरिष्ठ नेता खुद ग्वालियर में डेरा डाले हुए हैं और हालात पर नजर रख रहे हैं।