टीकमगढ़,आमिर खान। कुर्सी से ज्यादा जमीन और गरीब से प्यार करने वाले विधायक का एक अलग अंदाज एक बार फिर देखने को मिला। टीकमगढ़ जिले में पैदा हुए विधायक राकेश गिरी का बचपन से आज तक का सफर भी संघर्षों में गुजरा और इस संघर्ष ने ही उन्हें विधायक बना दिया। अक्सर उनका गरीबों के साथ उठना बैठना और उनकी मदद के लिए सबसे पहले आगे रहकर काम करने वाली तस्वीरों को देखा जाता है।
दिनों विधायक राकेश गिरी एक अलग ही अंदाज में दिखाई दे रहे हैं। कभी वह जमीन पर बैठकर परेशान लोगों की समस्याएं सुनते और तत्काल समस्या का निराकरण कराते हैं, तो वहीं कभी भी किसी गरीब के घर पहुंचकर उसके साथ भोजन करने का आनंद लेते दिखाई देते हैं।
संघर्षों की दीवारों को चीरते हुए विधायक राकेश गिरी का इतिहास भी गरीबी में गुजरा है। विधायक राकेश गिरी जब 13 वर्ष के थे तब उनके पिता उन्हें छोड़कर चले गए थे। इसके बाद से पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके पास थी। इस संघर्ष के सफर में विधायक राकेश ने घर – घर जाकर अख़बारों की वितरण किया। इसके साथ ही उन्होंने नौकर का काम करके भी अपने परिवार का भरण पोषण किया। अपने परिवार को संभाला। इसी दौरान उनका विवाह भी हो गया।
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उन्होंने एक बार ठाना कि क्यों न चुनाव लड़कर नेता बना जाए और गरीबों की मदद की जाए, फिर तय कर लिए राजनीति का सफर और पहली ही बार में बन गए नगर पालिका अध्यक्ष। इसके बाद उनकी तकदीर ऐसी बदली की पत्नी लक्ष्मी गिरी उनके कार्यकाल के बाद नपा अध्यक्ष बन गई और बहिन कामिनी गिरी जनपद अध्यक्ष। फिर राकेश गिरी रुके नहीं और भाजपा से विधायक बन गए।
अब वह अपने पद का उपयोग अपने पुराने दिनों को याद करके करते हैं। राकेश गिरी कहते हैं जो दिन उन्होंने देखे शायद ही ऐसे दिन कोई गरीब देखे। इसीलिए अक्सर वह गरीबों के बीच रहकर अपना समय निकालते हैं और उनकी मदद करने में आगे रहते हैं। विधायक का ये सरल स्वभाव और गरीबों से प्यार ही उनकी कामयाबी का मुख्य कारण है।