मप्र में एक बार फिर से होगा उपचुनाव, यह है कारण

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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) की 28 विधानसभा सीटों पर मंगलवार को मतदान संपन्न हुए। उपचुनाव (by election) में 69.93 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मत का उपयोग किया। अब सभी को 10 नवंबर का इंतजार है जब चुनाव परिणाम (Election result) सामने आऐंगे और प्रदेश की सत्ता पर कौन राज करेगा, इसका फैसला हो जाएगा। भाजपा (BJP) को बहुमत के जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए इस उपचुनाव में मात्र नौ सीट जीतने की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को पूरी 28 सीटों की। लेकिन हम आपकों बता दें कि मप्र में अभी उपचुनाव का दौर थमा नहीं है, इस चुनाव के बाद एक बार फिर मप्र की जनता को उपचुनाव के लिए तैयार रहना होगा।

मप्र में आने वाले दिनों में उपचुनाव का एक ओर दौर आएगा। दरअसल उपचुनाव की स्थिति दमोह सीट रिक्त होने से बनी। दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल सिंह लोधी (rahul singh lodhi) ने उपचुनाव के बीच झटका देते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और 25 अक्टूबर को भाजपा में शामिल हो गए थे। उनके इस्तीफे के बाद दमोह सीट रिक्त हो गई। चुनाव आयोग द्वारा प्रदेश की 28 सीटों पर उपचुनाव संबंधी सभी कागजी कार्यवाही पूरी कर ली गई थी। ऐसे में उस समय इन 28 सीटों के साथ दमोह में भी उपचुनाव करवा पाना संभव नहीं था। इसलिए अब आने वाले दिनों में दमोह सीट पर भी उपचुनाव होगा। संविधान के नियम अनुसार सीट रिक्त होने के छह माह के अंदर चुनाव करवाना आवश्यक होता है ऐसे में दमोह सीट पर भी उपचुनाव जल्द ही संपन्न होगा।

इन कारणों से हुए मप्र में उपचुनाव
गौरतलब है कि मप्र में इसी साल मार्च में कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने की वजह से उपचुनाव की नौबत आई। इसके बाद कांग्रेस के तीन अन्य विधायक भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। जिसके चलते उपचुनाव के हालात बने। हालांकि आने वाले समय में उपचुनाव सिर्फ एक सीट पर होगा या उससे अधिक सीटों पर यह तय नहीं है क्योंकि आए दिन राजनेता दूसरे दल के विधायकों के संपर्क में होने के दावे करते है। ऐसे में 28 सीटों के परिणाम आने के बाद प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों पर उपचुनाव का स्वरुप निर्भर करेगा।


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Neha Pandey

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