उपचुनाव नतीजों से पहले जीत के दावों को लेकर एक दूसरे पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने की कोशिश में जुटे राजनीतिक दल

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट । मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में उपचुनाव (By-election) होने में अभी भले ही करीब एक हफ्ते (One Week) का समय बाकी है, लेकिन जीत के दावे अभी से ही किए जाने लगे है। भाजपा (BJP) ने दशहरे (Dashahara) के बाद उपचुनाव वाली सीटों पर विजय अभियान चलाने का ऐलान किया है। वहीं, कांग्रेस (Congress) ने भाजपा के विजय अभियान के जवाब में सोशल मीडिया (Social Media) पर कमलनाथ (Kamal Nath) को भावी मुख्यमंत्री (Future Chief Minister) बताना शुरू कर दिया है।

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कांग्रेस पार्टी का दावा है कि 28 सीटों के उपचुनाव में कांग्रेस को मिल रहे जनसमर्थन से साफ है कि कांग्रेस सत्ता में अपनी वापसी कर रही है और 10 नवंबर को नतीजे घोषित होने के बाद कमलनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे।

कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा (Congress Spoke Person Narendra Saluja) ने कहा है कि हमारी पार्टी अपने सोशल मीडिया पर कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री बता रही है। इसमें कोई गलत नहीं है, क्योंकि नतीजों के बाद कमलनाथ का मुख्यमंत्री बनना तय है। नरेंद्र सलूजा ने कांग्रेस के कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री बताने पर भाजपा की आपत्ति पर कहा है कि सच को कबूलना भाजपा को आना चाहिए।

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कांग्रेस के सच को लेकर भाजपा नेताओं के पेट में दर्द क्यों हो रहा है। वहीं, कांग्रेस के सोशल मीडिया पर कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री बताने पर बीजेपी ने तंज कसा है। भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल (BJP Spoke Person) ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी चाहे, तो कमलनाथ को देश का भावी राष्ट्रपति भी घोषित कर सकती है। यह उनका निजी मामला है। लेकिन प्रदेश में 28 विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव का रुझान बताता है कि अब कांग्रेस नेताओं की प्रदेश से विदाई तय है।

बहरहाल, पहले कांग्रेस ने अपने ट्विटर अकाउंट पर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की फोटो हटाकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ की तस्वीर लगा कर भाजपा को तंज कसने का मौका दिया था। वहीं, अब कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री बताए जाने को लेकर राजनीति शुरू हो गई है।

उपचुनाव के नतीजों से पहले भाजपा और कांग्रेस के जीत के दावों को लेकर एक दूसरे पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने की कोशिश की जा रही है और इन सब के बीच में खामोश मतदाता 3 नवंबर की तारीख का इंतजार कर रही है। जब वह अपना फैसला सुना कर किसी एक दल की जीत और एक की हार सुनिश्चित कर देगी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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