भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कुल 230 विधानसभा सीटें है, जिनमें से 28 पर उपचुनाव (By-election) हो रहा है। भाजपा (BJP) के पास अभी 107 सीटें हैं और बहुमत के लिए उसे 9 सीटों पर जीतना जरूरी है। वहीं कांग्रेस (Congress) के पास 88 सीटें हैं और बहुमत के लिए उसे 28 सीटों पर जीत की जरूरत है। लेकिन अगर कांग्रेस मिली-जुली सरकार के बनाने की सोचती है तो उसे 21 सीटों पर जीत की जरूरत होगी। बहुमत के आंकड़े से दूर होने पर सात बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों की भूमिका अहम हो जाएगी। वहीं विश्वस्त सूत्रों एवं राजनीतिक पंडितों का कहना है कि भाजपा की नौ सीटों पर हार तय है।
इसलिए 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक छह मंत्रियों सहित 22 विधायकों ने कमल नाथ सरकार से समर्थन वापस लेते हुए विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था, इसके बाद सभी ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। जिसके बाद मार्च 2020 में कांग्रेस की कमल नाथ की सरकार गिर गई। शिवराज सिंह चौहान की सरकार बनने के बाद नेपानगर से सुमित्रा देवी कास्डेकर, मांधाता से नारायण पटेल और मलहरा सीट से प्रद्युम्न लोधी ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। इसके पहले आगर से भाजपा के विधायक मनोहर ऊंटवाल और जौरा से कांग्रेस के विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन की वजह से पहले ही दो सीटें रिक्त हो चुकी थीं। हाल में ब्यावरा से कांग्रेस विधायक गोवर्धन दांगी के निधन के बाद एक और सीट रिक्त हो गई। जिसके बाद मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव कराए जा रहे हैं।