नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। सरकार ने 6th-7th pay commission शासकीय कर्मचारियों (Employees) के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। इसके साथ ही सरकार के निर्देश के तहत जीपीएफ खाते (GPF Account) में 6 फीसद राशि जमा करने वाली शर्त के साथ इसकी अधिकतम राशि सीमा भी तय कर दी गई है। इसके साथ ही अब शासकीय कर्मचारी अधिकारी किसी भी तरह से 5 लाख रुपए से अधिक की राशि जीपीएफ में जमा नहीं कर पाएंगे।
सरकार के इस निर्णय के बाद कर्मचारी संगठन का आरोप है कि यह कदम कर्मियों से अधिक फायदा छीनने के प्रयास के तहत उठाया गया है। अभी तक के नियम के तहत कोई भी कर्मचारी इस निधि में अपने कुल मेहनताने का 6 फीस जमा कर सकता था। जमा राशि पर जो ब्याज में मिलता था वह सामान्य तौर पर बैंकों के मुकाबले अधिक होता था। हालांकि सरकार ने इस पर अंकुश लगाने की तैयारी की है।
नवीन आदेश के तहत सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवाएं), नियम, 1960 के अनुसार, एक ग्राहक के संबंध में जीपीएफ की सदस्यता की राशि, अभिदाता की कुल परिलब्धियां, परिलब्धियों के 6% से कम और अधिक नहीं होनी चाहिए। सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवाएं) नियम, 1960 के नियम 7, 8 और 10 को अधिसूचना संख्या जी.एस.आर. 96 दिनांक 15.06.2022। आयकर नियम, 1962 के नियम 9D के उप नियम (2) के नीचे स्पष्टीकरण के खंड (C) के उप खंड (i) में संदर्भित [जैसा कि अधिसूचना संख्या जी.एस.आर. 604 (E) दिनांक 31.08.2021 वित्त मंत्रालय, राजस्व विभाग (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) उक्त अधिसूचना दिनांक 15.06.2022 के अनुसार, एक वित्तीय वर्ष के दौरान जीपीएफ के तहत एक ग्राहक द्वारा मासिक सदस्यता की राशि के साथ उस वित्तीय वर्ष में जमा की गई। बकाया सदस्यता की राशि सीमा सीमा (वर्तमान में पांच लाख रुपये) से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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इसके अलावा, सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवाएं), नियम, 1960 के उपरोक्त संशोधित प्रावधानों के कड़ाई से कार्यान्वयन के लिए इस विभाग के कार्यालय ज्ञापन संख्या 3/6/2021-पी एंड पीडब्लू (एफ) दिनांक 11.10.2022 के तहत निर्देश जारी किए गए हैं।
इस विभाग में ऐसे संदर्भ प्राप्त हुए हैं जिनमें सलाह मांगी गई है कि उन सरकारी कर्मचारियों के मामले में जीपीएफ अंशदान को कैसे विनियमित किया जाए, जिनमें चालू वित्त वर्ष (अर्थात 2022-23) में जीपीएफ की कुल सदस्यता पहले ही पार हो चुकी है। सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवाएं), नियम, 1960 के तहत निर्धारित परिलब्धियों के 6% की न्यूनतम सदस्यता के साथ भी पांच लाख रुपये की सीमा या इस सीमा से अधिक होने की संभावना है।
अधिकतम वार्षिक जीपीएफ सदस्यता को सीमित करने वाली संशोधन अधिसूचना 15.06.2022 को जारी की गई थी। चालू वित्त वर्ष में वार्षिक कुल अंशदान की सीमा पांच लाख रुपये से अधिक होने की स्थिति उत्पन्न नहीं होती यदि उपरोक्त संशोधन अधिसूचना के जारी होने के तुरंत बाद उचित कदम उठाए जाते। मंत्रालयों/विभागों को हो रही कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए मामले की जांच की गई है और इस संबंध में निम्नलिखित निर्देश जारी किए गए हैं:
उन सरकारी कर्मचारियों के मामले में, जिनकी जीपीएफ सदस्यता चालू वित्तीय वर्ष (यानी 2022-23) के दौरान पहले ही रुपये की सीमा सीमा से अधिक हो गई है। 5 लाख, चालू वित्त वर्ष में उनके वेतन से जीपीएफ सदस्यता की कोई और कटौती नहीं की जा सकती है। उन मामलों में, परिलब्धियों के 6% की न्यूनतम मासिक सदस्यता के प्रावधान में छूट दी गई समझी जाएगी।
उन सरकारी सेवकों के मामले में, जिनका चालू वित्त वर्ष (अर्थात 2022-23) के दौरान जीपीएफ अंशदान अभी तक रु. 5 लाख, चालू वित्त वर्ष के दौरान जीपीएफ सदस्यता के लिए और कटौती को इस तरह से समाप्त किया जा सकता है कि चालू वित्तीय वर्ष के दौरान कुल सदस्यता 5 लाख रुपये से अधिक न हो। ऐसे मामलों में जहां कुल योगदान रुपये से अधिक होने की संभावना है।
परिलब्धियों के 6% की न्यूनतम मासिक सदस्यता के साथ भी 5 लाख, चालू वित्त वर्ष में कुल योगदान रु. 5 लाख। ऐसे मामलों में भी, परिलब्धियों के 6% के न्यूनतम मासिक अंशदान के प्रावधान में छूट दी गई समझी जाएगी। सभी मंत्रालयों/विभागों से अनुरोध है कि उक्त निर्देशों को कड़ाई से अनुपालन के लिए सभी संबंधितों के ध्यान में लाएं।