Allahabad High Court’s decision: इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा निर्णय सामने आया है जिसमें कोर्ट द्वारा अंतर-धर्म विवाह करने वाले एक कपल को सुरक्षा देने से मना कर दिया गया है। कपल ने याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने अंतर-धर्म विवाह की वजह से अपनी जान को खतरे में महसूस किया और सुरक्षा की मांग की थी। हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत इस विवाह को मान्यता नहीं मिली है, जिसके कारण उनकी सुरक्षा की मांग ठुकरा दी जाती है।
दंपति का विवाह उत्तर प्रदेश के धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत नहीं :
दरअसल हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि दंपति का विवाह उत्तर प्रदेश के धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत नहीं हुआ है, इसलिए उन्हें सुरक्षा प्रदान करने की कोई आवश्यकता नहीं है। हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना निर्णय देते हुए एक नए दृष्टिकोण को सामने रखा है।
विवाह के समर्थन या विरोध में होने वाली सारी याचिकाओं को मिलकर सुनने के बाद, उन्होंने यह निर्णय दिया है कि इस मामले में धार्मिक आधार पर सुरक्षा प्रदान करने की कोई आवश्यकता नहीं है। वहीं, इस निर्णय के बाद इसकी चारों ओर चर्चा हो रही है कि यह निर्णय कैसे एक नए सोच को प्रोत्साहित कर सकता है और धार्मिक संबंधों में होने वाले विवादों का समाधान कैसे कर सकता है।
जानकारी के अनुसार, कपल ने कहा था कि उन्हें उनके विवाह के कारण जीवन में खतरा हो सकता है और इसलिए उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है। हाईकोर्ट ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उनका विवाह उत्तर प्रदेश के धार्मिक धाराओं के खिलाफ नहीं हुआ है और इसलिए इसे धर्मांतरण या उत्तराधारित्व की दृष्टि से नहीं देखा जा सकता है।
कौन हैं ये दंपति:
इस मामले में याचिका दायर करने वाले दंपति का नाम और उनके विवाह का विवरण सार्वजनिक रूप से नहीं जारी किया गया है। हालांकि, उनका दावा है कि उनके विवाह को लेकर उत्तर प्रदेश में सुरक्षा की आवश्यकता है, जिसका मुद्दा अब हाईकोर्ट के निर्णय के बाद फिर से उठ सकता है।