बाबा रामदेव ने कांग्रेस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध की मांग को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि आरएसएस एक राष्ट्रवादी संगठन है, जिसमें हेडगेवार से लेकर गोलवलकर तक कई महान लोग रहे हैं और वर्तमान में लाखों कार्यकर्ता राष्ट्रसेवा में लगे हैं। रामदेव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस मोदी और शाह को राजनीतिक रूप से हरा नहीं पा रही, इसलिए आरएसएस पर अनर्गल बातें कर रही है।
योग गुरु ने कहा कि आरएसएस पर प्रतिबंध की मांग करने वाले तत्व भारत-विरोधी और सनातन विरोधी हैं, जिनका अपना एजेंडा है। उन्होंने आरएसएस को राजनीतिक संगठन न बताते हुए कहा कि उसका राजनीतिक अंग भाजपा है, इसलिए लड़ाई तो मोदी और अमित शाह से लड़नी चाहिए। रामदेव ने संगठन में कई संन्यासी और तपस्वी लोगों की मौजूदगी की भी सराहना की।
संविधान के लिए जहर बताया
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 31 अक्टूबर को आरएसएस की विचारधारा को संविधान के लिए जहर बताया और उस पर प्रतिबंध की वकालत की थी। उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल का हवाला देते हुए कहा कि गांधी हत्या के बाद आरएसएस के लोगों ने मिठाई बांटी थी, जिसके चलते पटेल ने प्रतिबंध लगाया था। खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे ने भी कर्नाटक में सरकारी स्कूलों और मंदिरों में आरएसएस गतिविधियों पर रोक की मांग की थी।
जनता ने संगठन को स्वीकार किया
आरएसएस के सरसंघचालक दत्तात्रेय होसाबाले ने इसका जवाब देते हुए कहा कि जनता ने संगठन को स्वीकार कर लिया है और राष्ट्रनिर्माण में लगे आरएसएस पर प्रतिबंध का कोई औचित्य नहीं है। स्वतंत्र भारत में आरएसएस पर तीन बार प्रतिबंध लग चुका है—1948 में गांधी हत्या के बाद, 1975 में आपातकाल के दौरान और 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद।





