कर्मचारियों की पुरानी पेंशन पर ताजा अपडेट, बहाली की मांग तेज, यूनियन ने दी चेतावनी, क्या मिलेगा लाभ?

Pooja Khodani
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। आगामी चुनावों से पहले देशभर में पुरानी पेंशन बहाली और एनपीएस खत्म करने की मांग तेजी से उठ रही है। एक तरफ राज्यों में कर्मचारियों ने मोर्चा खोल रखा है वही दूसरी तरफ केंद्रीय कर्मचारी संगठनों का आंदोलन तेज होता जा रहा है। रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत असैनिक रक्षा कर्मचारी संगठन ‘अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ’ (एआईडीईएफ) ने सोमवार को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर जमकर प्रदर्शन किया है।

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कर्मचारियों ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर पुरानी पेंशन दोबारा से लागू नहीं की गई, तो इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे। एआईडीईएफ महासचिव सी. श्रीकुमार ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है। इस फैसले में कहा गया है कि पेंशन न तो एक इनाम है, और न ही अनुग्रह की बात है, जो कि नियोक्ता की इच्छा पर निर्भर हो।वही आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की है।

कर्मचारियों ने मांग की है कि एक जनवरी 2004 को या उसके बाद भर्ती हुए कर्मचारियों के लिए लागू की गई राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को वापस लेकर सीएसएस पेंशन नियम 1972 के अंतर्गत, पुरानी पेंशन योजना के दायरे में लाया जाए।वही जनवरी 2004 को या उसके बाद भर्ती हुए कर्मचारियों के लिए उनके GPF खाते में रिटर्न के साथ संचित अंशदान को जमा करते हुए, GPF योजना को लागू किया जाए।

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बता दे कि पुरानी पेंशन योजना के तहत जिन कर्मियों की न्यूनतम 10 वर्ष की क्वॉलिफाइंग सर्विस होती है, वह पेंशन के लिए पात्र होते हैं और अंतिम आहरित वेतन का 50% मासिक पेंशन के रूप में दिया जाता है। यह गारंटीशुदा पेंशन राशि 9000 रुपये, महंगाई भत्ते की बढ़ोतरी के आधीन होती है। इस मासिक पेंशन में से 40% के बराबर की धनराशि को सेवानिवृत्ति के अवसर पर परिवर्तित किया जा सकता है।इतना ही नहीं कम्युटेशन के पश्चात शेष पेंशन और पूर्ण पेंशन पर DA का 15 वर्ष तक भुगतान किया जाता है। यदि 15 वर्ष से पहले पेंशनभोगी की मृत्यु हो जाती है तो शेष परिवर्तित पेंशन के पुनर्भुगतान की कोई आवश्यकता नहीं होती।

इसके अलावा 80 वर्ष की आयु के बाद पेंशनधारक को 20, 85 वर्ष के बाद 30, 90 वर्ष के बाद 40, 95 साल के बाद 50और 100 साल के बाद 100 % वृद्धि का लाभ प्राप्त होता है। वही जब भी वेतन आयोग द्वारा कर्मियों के वेतनमानों का रिवीजन किया जाता है, तो उसी के अनुरुप पेंशन का भी रिवीजन होता है। NPS में कर्मी को मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 % अंशदान देना होता है। सरकार भी मैचिंग ग्रांट के रूप में समान धनराशि का अंशदान करती है। हालांकि बाद में सरकार ने अपने अंशदान को बढ़ाकर 14 % कर दिया है।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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